मुख्यमंत्री जी आखिर कौन है वो कलाकार जो सूचना विभाग और आपका ट्विटर हैंडल कर रहा है ?
9 नवंबर 2019 को उत्तराखंड राज्य निर्माण के 19 वर्ष पूरे हो जाएंगे.सो उत्तराखंड सरकार ने सोचा कि राज्य निर्माण के उत्सव का “सप्ताह” कर लिया जाए. राज्य में कुछ हुआ हो,न हुआ हो,पर उत्सव तो हो ही सकता है !
सो साहब उत्सव का कार्यक्रम चालू है. लेकिन चूंकि उत्तराखंड में भारी पलायन हो चुका है, इसलिए सब बाहर से लाना पड़ता है. पहले दिन दिल्ली आदि स्थानों पर बसे हुए बड़े नामधारी पहाड़ी मूल के लोग लाये लाये गए.बाहर से आये इन पहाड़ी नामधारी लोगों ने रैबार यानि संदेश दिया कि “आवा अपणा घौर” यानि आओ अपने घर.बहुत मुमकिन है कि आओ अपने घर का नारा लगा कर ये सब महानुभाव दिल्ली-लखनऊ आदि स्थित अपने घरों को चले भी गए हों !
और अब अल्मोड़ा में तो बाहर से लाने की इंतहा हो गया.वेबपोर्टल https://www.kafaltree.com/ के अनुसार अल्मोड़ा के युवा सम्मेलन के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के ट्विटर हैंडल से जो पोस्टर ट्वीट हुआ है, उसमें युवाओं की जो तस्वीर है, वह नोएडा की है. काफल ट्री की रिपोर्ट बताती है कि “मेरे युवा,मेरी शान” नारे के साथ लगी युवाओं की उक्त तस्वीर हिंदुस्तान टाइम्स ने जुलाई 2017 में बारहवीं के परीक्षा परिणाम के समय छापी थी.
तो क्या मुख्यमंत्री जी “मेरे युवा-मेरी शान’ के नारे में दिखाने के लिए भी प्रदेश के युवा नहीं हैं? 108 सेवा के नौकरी गंवा चुके युवा और आयुर्वेद मेडिकल कॉलेजों के परेड ग्राउंड में धरना देते,पुलिस से पिटते युवा,बिना कोई रंगीन पोस्टर छापे ही इस नारे को मुंह चिढ़ा रहे हैं.
पर अहम सवाल है कि नोएडा के युवाओं का फोटो,उत्तराखंड स्थापना दिवस के पोस्टर में मुख्यमंत्री के साथ छापा किसने? यह कारनामा अंजाम दिया है,उत्तराखंड सरकार के सूचना और लोकसंपर्क विभाग ने. सूचना और लोकसंपर्क विभाग ने इतनी मेहरबानी जरूर की कि मूल फोटो में युवाओं के हाथ में जो मिठाई के डिब्बे थे,वो काट दिए.सूचना विभाग वालो,उन्हें भी रहने देते,हम उत्तराखंडी, राज्य स्थापना दिवस पर फोटो के लड्डुओं से ही पेट भर लेते.
और राज्य स्थापना के सप्ताह में सूचना एवं लोकसंपर्क विभाग का यह पहला कारनामा नहीं है. इससे पहले 03 नवम्बर के कार्यक्रम की जो प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई,उसमें उत्तराखंड के 52 गढ़ों में से एक उप्पू गढ़ के गढ़पति कफ्फू चौहान को “गप्पू चौहान” लिखा गया.सूचना विभाग वालो माना कि सरकारें गप्पू-पप्पू की ही हैं और तुम्हारा काम गप्पूओं की लल्लो-चप्पो करना ही है,पर उत्तराखंड की नौकरी बजाते हो तो गप्पू और कफ्फू चौहान का फर्क तो जान लो भाई !
मुख्यमंत्री जी,बाकी चाहे जो भी बाहर से लाना पड़े पर कारिंदे ऐसे लाएं,जिनका दिमाग,बाहर न हो,बल्कि वहीं अवस्थित हो जहां उसे होना चाहिए !
-इन्द्रेश मैखुरी