देहरादून, ज्वलंत मुद्दों को लेकर डांडी से 2 अक्टूबर को चली जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय की संविधान सम्मान यात्रा 65 दिनों में 26 राज्यों की 15000 किलोमीटर यात्रा तय करने के बाद दून पहुंची। दून पहंुचने पर शहीद स्मारक स्थल पर यात्रा का भव्य स्वागत किया गया। संविधान सम्मान यात्रा कचहरी स्थित शहीद स्थल पहंुची। वहां से यात्रा अग्रवाल धर्मशाला पहंुची और संविधान सम्मान देश व उत्तराखंड’ सम्मेलन के रूप में परिवर्तित हो गई। 

इस अवसर पर अनेकों वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किये। वक्ताओं न कहा कि यात्रा में देशभर में चल रहे विस्थापन,  सांप्रदायिक हमलों के खिलाफ, दलित, महिला, आदिवासी, किसान के चल रहे विभिन्न जन आंदोलनों के अगुआ आ रहे हैं प्रफुल्ल सामंत्रा जो कि उड़ीसा में नियमगिरि पहाड़ बचाने और पास्को कंपनी को बाहर करने के आंदोलन के अगुआ रहे व हाल ही में उनको। अंतरराष्ट्रीय मैग्सेसे पुरस्कार भी मिला है। कृष्ण कांत, गुजरात में मीठी विरदी परमाणु योजना व फिलहाल बुलेट ट्रेन रोकने  के आंदोलन में अगुआ है नर्मदा बचाओ आंदोलन के साथी शामिल थे। यहां पिछले कुछ वर्षों से लगातार हम नागरिकों के मौलिक अधिकारों के हनन को देख रहे हैं। जल जंगल जमीन की लूट तो तेजी से बढ़ी है। सांप्रदायिकता तेजी से फैली हैं। उत्तराखंड जो हमेशा शांत रहता था, वहां आज सांप्रदायिक तत्व तेजी के साथ अपना फन फैला रहे हैं।    वक्ताओं ने कहा कि हम मानते हैं कि देश सब का है। देश की संस्कृति बहुधर्मी, बहुआयामी, बहुभाषा, बहु विचारधारा वाली रही है। संविधान को दरकिनार करके बोलने की आजादी, इकट्ठे होने से लेकर मत भिन्नता रखने पर भी मुकदमे ठोकते जाना शामिल है। उत्तराखंड ने हाल ही में गंगा के एक सच्चे सपूत को शहीद होते देखा है। सरकार एक तरफ गंगा बचाने की बात करती रही दूसरी तरफ गंगा पर पर्यावरणीय और जनहक के सवालों को नकारते हुए बांधों को आगे बढ़ाने का काम करती रही है। गंगा के नाम पर आई सत्ताधारी दल ने यह काम बहुत चालाकी के साथ किया है। इस अवसर पर अनेक वक्ताआंे ने संबोधित करते हुए अपने विचार व्यक्त किये। इस सम्मेलन में उत्तराखंड महिला मंच, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी, डाक्टर अंबेडकर जनजागृति मंच थत्युड़, अखिल भारतीय किसान सभा, उत्तराखंड समता सैनिक दल, देवभूमि सर्वोदय मंडल देहरादून, स्वराज अभियान उत्तराखंड सहित अन्य संगठनों के प्रतिनिधि बड़ी संख्या में शामिल थे।