देहरादून, उत्तराखंड राज्य के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले शहीद राज्य आंदोलनकारियों के दोषियों को सजा दिलाने की मांग को लेकर राज्य आंदोलनकारियों ने रविवार को गांधी पार्क में प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला। साथ ही दो टूक कहा कि पहाड़ की राजधानी पहाड़ में ही बने।
बड़ी संख्या में विभिन्न आंदोलनकारी संगठनों से पहुंचे आंदोलनकारियों ने यहां गांधी पार्क में मसूरी, खटीमा, मुजफ्फर नगर, श्रीयंत टापू की घटनाओं में शहीदों को याद कर उनके लिए इंसाफ मांगा। साथ ही दोषियों को अभी तक भी सजा नहीं दिए जाने पर रोष व्यक्त किया। इस दौरान राज्य आंदोलनकारियों ने उत्तराखंड का जयघोष भी किया। दोषियों के खिलाफ नारेबाजी की। प्रदेश सरकार पर हल्ला बोलते हुए कहा कि समूह-ग की भर्ती में बाहरी राज्यों के अभ्यर्थियों के लिए दरवाजे खोलने से प्रदेश के बेरोजगार युवाओं के साथ भद्दा मजाक किया गया है। वहीं राज्य आंदोलनकारियों ने गैरसैंण राजधानी के मुद्दे पर भी प्रदेश सरकार को खूब खरी खोटी सुनाई। आंदोलनकारियों ने कहा कि पहाड़ की राजधानी पहाड़ में ही बननी चाहिए। लेकिन सरकार ने इस पूरे मामले को बड़ी चालाकी और धोखे से शून्य कर दिया है। राज्य आंदोलनकारियों ने चेतावनी देते हुए कहा कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं की जाती राज्य आंदोलनकारी अपना आंदोलन छोड़ने वाले नहीं। राज्य के सभी आंदोलनकारियों को एक समान पेंशन का लाभ दिया जाए। दस प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण को अविलंब लागू किया जाए। उत्तराखंड की स्थाई राजधानी गैरसैंण को बनाया जाए। राज्य आंदोलनकारियों की सभी सुविधाओं को बहाल किया जाए। शहीद आंदोलनकारियों के परिजनों को न्याय दिलाया जाए आदि।
वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी रविंद्र जुगरान, जगमोहन नेगी, प्रदीप कुकरेती,डी एस गुसाई,अंबुज शर्मा ,धनंजय घिल्डियाल , ओमी उनियाल, सुलोचना भट्ट, जबर सिंह पावेल, रामलाल खंडूरी, देवी गोदियाल, महेंद्र रावत बब्बी ,मोहन रावत, उर्मिला शर्मा, कुलदीप कुमार शर्मा, केशव उनियाल, कैलाश बिष्ट, विक्रम भंडारी, यशवंत रावत , राजेश्वरी चमोली, प्रभा नैथानी, धनेश्वरी नेगी, लक्ष्मी रावत, लोक बहादुर थापा,लक्ष्मी देवी गुसाई, पार्वती रतूड़ी, मधु डबराल, सुशीला भट्ट, वीरेंद्र गुसाई, मनोरमा भट्ट, नरेंद्र नौटियाल, संजय बलूनी, मोहन थापा सहित बड़ी संख्या में आंदोलनकारी मौजूद रहे।