पत्रकार वार्ता करते हुए किशोर उप्पध्याय। 
हरिद्वार, काँग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व वनाधिकार आन्दोलन के प्रदेश संयोजक किशोर उपाध्याय ने कहा कि वनाधिकार आंदोलन के तहत आगामी 2 नवम्बर को स्व0 इंद्रमणि बडोनी के गांव से राज्य आंदोलनकरियों के सपनों को धार देंगे व अपने हक-हकूकों को हासिल करके रहेंगे। उप्पध्याय रानीपुर मोड स्थित एक  पत्रकार वार्ता कही। वह कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के बेटे की शादी में शामिल होने  हरिद्वार आये थे।
 दौरान उन्होंने कहा कि आगामी 9 नवम्बर को हमारा उत्तराखंड 19 साल का बांका जवान हो जायेगा,पर जो संतुष्टि या जो सपना राज्य बनाने से पहले राज्य आंदोलनकारियों ने देखे थे ,वह संतुष्टि नहीं मिल पा रही है। हाँ कुछ लोग होंगे जो उत्तराखंड राज्य से संतुष्ट होंगे उनमे वह लोग शामिल है जो आज मुख्यमंत्री बन चुके है या फिर वह लोग होंगे जो किसी ना किसी विभागो के अध्यक्ष ,मुख्य या प्रमुख सचिव या फिर राज्य के डीजीपी है या रह चुके है ,पर आज उत्तराखंड का आम आदमी उत्तराखंड पृथक राज्य बनाने से संतुष्ट नहीं है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाने के बाद उन्होंने उत्तराखंड के लगभग 100 गाँवो का दौरा किया और उन गाँवो में रात्रि रुका भी पर किसी भी गांव के लोग उत्तराखंड बनाने से संतुष्ट नहीं दिखे। इसलिए उनके द्वारावनाधिकार जनाधिकार आन्दोलन की शुरुआत की गई।जिनमे प्रमुख रूप से  उत्तराखण्ड को वनवासी प्रदेश घोषित कर  उत्तराखंडियों को केंद्र सरकार की नौकरियों में आरक्षण दिया जाए। जब दिल्ली की सरकार उत्तराखण्ड का पानी दिल्ली की जनता को फ्री दे सकती है तो उत्तराखण्ड सरकार को भी जनता को निशुल्क पानी दिया जाना चाहिए।जो की उत्तराखंड वासियो का जन्मसिद्ध अधिकार भी है।
उन्होंने कहा कि आज हमारे सारे ईंधन के कार्य जंगल से ही पूरे होते थे, इसलिए 01 गैस सिलेंडर हर महीने निशुल्क मिलना हमारा हक है। इतना ही नहीं अपना घर बनाने के लिए हमे निशुल्क पत्थर, बजरी ,लकड़ी आदि मिलना चाहिए तथा दिल्ली की तरह 200 यूनिट बिजली भी निशुल्क मिले। यदि कोई जंगली जानवर किसी व्यक्ति को विकलांग कर देता है या मार देता है तो सरकार को 25 लाख रु मुआवजा व पक्की सरकारी नौकरी देनी चाहिए।  जंगली जानवरों द्वारा फसलों के नुकसान पर सरकार द्वारा तुरंत प्रभाव से 1500 रु प्रति नाली (अर्थात 200 मीटर वर्ग फुट )के हिसाब से क्षतिपूर्ति दी जाए। तिलाड़ी काण्ड के शहीदों के सम्मान में 30 मई को वन अधिकार दिवस घोषित किया जाए। इस मौके पर उन्होंने कहा कि वनाधिकार आंदोलन के कार्यकर्ता 2 से 9 नवम्बर तक पदयात्रा निकलेंगे। उन्होंने कहा कि राज्य गठन के 19 वर्ष बाद भी आम लोग आज भी उन अधिकारों से वंचित हैं जिनको लेकर उन्होंने राज्य मांगा था। उन्होंने कहा कि जनता उपेक्षित महसूस कर रही है। उनमें असंतोष का स्तर बढ़ता जा रहा है। उपाध्याय ने कहा कि 2022 का चुनाव जान सरोकारों के मुद्दों पर होगा। जो जनता की बात करेगा उसी को जनता चुनेगी। इस अवसर पर अंशुल श्री कुंज, सुमित तिवारी,विभाष मिश्रा, ओ पी चैहान, अशोक उपाध्याय, नमन अग्रवाल, दीपक टंडन, घनश्याम कुमार आदि उपस्थित थे।