देहरादून, कानून तो सभी के लिए होता है। कानून की नजर में जब कोई आम और खास नहीं तो फिर यह भेदभाव क्यों। यह सवाल आज एक पत्रकार वार्ता के दौरान कांग्रेस नेता धस्माना द्वारा नये मोटर वाहन एक्ट के क्रियावयन को लेकर उठाया गया।
धस्माना का कहना था कि इस नये एक्ट के कारण आम आदमी को तमाम परेशानियंा हो रही है। उन्होने कहा कि आम आदमी के वाहनों का चालान छोटीकृछोटी खामियों को लेकर किया जा रहा है। जबकि मुख्यमंत्री से लेकर अधिकारियों तक की गाड़ियों पर कोई कानून लागू नहीं है। उन्होने कहा कि राज्यपाल से लेकर मुख्यमंत्री व तमाम मंत्रियों तथा अधिकारियों की गाड़ियां बिना इंश्योरेंस के दौड़ रही है, नगर निगम की गाड़ियों के इंश्योरेंस है लेकिन उस पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती है जबकि आम आदमी के पास एक कागज की कमी हो तो उसके हाथ में 10-20 हजार का चालान थमा दिया जाता है।
त्रिवेंद्र रावत और उत्पल कुमार का कौन करेगा चालान
मुख्यमंत्री और मुख्यसचिव के वाहनों का बीमा नहीं …उत्तराखण्ड में मुख्यमंत्री, मुख्यमंत्री की फ्लीट और मुख्य सचिव के सरकारी वाहन बिना इंश्योरेंस सड़कों पर दौड़ रहे हैं। राज्य सम्पत्ति विभाग का कहना है कि सरकारी वाहनों का इंश्योरेंस कराने के लिए कोई नीति है या नहीं इसके बारे में उसके पास सूचना शून्य है। इतना ही नहीं राज्य सम्पत्ति विभाग ने साफ तौर पर माना है कि उसके वाहनों का इंश्योरेंस नहीं किया जाता है। उल्लेखनीय है कि राज्यपाल को भी राज्य सम्पत्ति विभाग ही वाहन उपलब्ध कराता आया है लिहाजा उनके वाहन का भी इंश्योरेंस है या नहीं इसके बारे में कहा नहीं जा सकता।
केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के नये मोटरयान अधिनियम का कड़ाई से पालन किए जाने का निर्णय उत्तराखण्ड की त्रिवेन्द्र सरकार ने लिया था लेकिन खुद ‘सरकार’ ही इस नये अधिनियम की खुलेआम धज्जियां उड़ा रही है। इसके विपरीत आम जनता को इस अधिनियम के पालन के लिए प्रताड़ित किए जाने की घटनाएं आम हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मादी ने मोटर अधिनियम में हुए संशोधनों का स्वागत करते हुए कहा था कि यह अधिनियम सभी लोगों पर लागू होगा इसमें ‘खास’ और ‘आम’ का विभाजन नहीं होगा। उनकी इस सोच के इतर त्रिवेन्द्र सरकार अधिनियम को लागू करने में ‘सरकारी’ और ‘गैरसरकारी’ का फर्क कर रही है। राज्य सम्पत्ति विभाग को सरकारी वाहनों के इंश्योरेंस की आवश्यकता महसूस नहीं होती। अगर मुख्यमंत्री की फ्लीट और मुख्य सचिव का वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो जाए या उससे कोई हादसा हो गया तो उसकी क्षतिपूर्ति कौन करेगा, यह एक बड़ा सवाल है। पंजाब केसरी/नवोदय टाइम्स ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी थी, उसके उत्तर में राज्य सम्पत्ति विभाग के व्यवस्थाधिकारी संदीप सिंह रावत की ओर से दिए गए उत्तर में कहा गया है कि मौजूदा समय में मुख्यमुत्री की फ्लीट में 13 वाहन इस्तेमाल किए जा रहे हैं जिनमें से किसी का भी इंश्योरेंस नहीं किया गया है। इसके अलावा मुख्य सचिव उत्पल कुमार एक वाहन का उपयोग कर रहे हैं उसका भी इंश्योरेंस नहीं है।
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सीएम की फ्लीट में शामिल वाहन_ यूके 07 जीडी 0011, यूके 07 जीडी 0077, यूके 07 जीडी 0099, यूके 07 जीबी 0777, यूके 07 जीडी 0777, यूके 07 जीए 2566, यूके 07 जीए 2567, यूके 07 जीए 2568 , यूके 07 जीए 2569, यूके 07 जीए 2570, यूके 07 जीए 2571, यूके 07 जीए 2661, यूके 07 जीए 2662सीएएस के वाहन का नम्बर _यूके 07 जीए 1256
क्या डीजीपी करेंगे कार्रवाई- नये मोटर व्हीकल एक्ट के पालन को लेकिन उत्तराखण्ड पुलिस सख्त बनी हुई है। देखना होगा कि डीजीपी अनिल के रतूड़ी बगैर किसी पक्षपात के राजनेताओं और नौकरशाहों के वाहनों पर एक्ट के तहत कार्रवाई करते हैं या नहीं।
उन्होने कहा कि कानून तो सभी के लिए है पहले परिवहन विभाग इन सरकारी गाड़ियों का चालान करे, इसके बाद ही आम लोगों के वाहनों का चालान किया जाये। उन्होने सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि सूबे की कानून व्यवस्था चोंपट हो चुकी है। दिन दहाड़े सर्राफ के यहंा 60 लाख की लूट हो जाती है। स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का बुरा हाल है। डबल इंजन सरकार ऐसा करेगी वैसा करेगी, न जाने क्या क्या दावे किये गये थे। उन्होने कहा कि अब डबल इंजन की सरकार क्या कर रही है यह सब जनता देख रही है। । अब सूबे के नेता भी केन्द्र के इशारे पर यही काम कर रहे है।