नैनीताल, हाईकोर्ट ने एससी-एसटी छात्रों की छात्रवृत्ति में घोटाला मामले में मुख्य सचिव को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने सीधा सवाल पूछा है कि क्यों न इस घपले की सीबीआइ जांच कराई जाए। साथ ही कोर्ट ने घोटाले की जांच कर रहे अपर सचिव को हटाने को भी संज्ञान लिया है।   राज्य आंदोलनकारी व पूर्व राज्य मंत्री रहे रविन्द्र जुगरान ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि समाज कल्याण विभाग की ओर से प्रदेश के हजारों एससी-एसटी छात्रों को छात्रवृत्ति दी जाती है, मगर विभाग ने 2003 से अब तक छात्रों को छात्रवृत्ति का भुगतान नहीं कर घोटाला किया है। देहरादून-हरिद्वार के हजारों छात्रों के ऐसे मामले सामने आए हैं। करीब पांच सौ करोड़ का घोटाला किया गया है। जुगरान का कहना है कि महालेखाकार भारत सरकार, निदेशक समाज कल्याण, अपर सचिव समाज कल्याण की नोटिंग के आधार पर इस घोटाले के तार राज्य से बाहर भी जुड़े हैं, लिहाजा इस घपले की सीबीआइ जांच कराई जाए। याचिका में कहा गया था कि पिछले साल मुख्यमंत्री ने इस घोटाले की एसआइटी जांच कराई, मगर अब तक दोषियों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया। सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि इसी साल पहली दिसंबर को हरिद्वार थाने में हरिद्वार व देहरादून जिले में हुए घपले के मामले में धोखाधड़ी का मुकदमा भी दर्ज किया गया है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की खंडपीठ ने मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्य सचिव को स्वतरू पक्षकार बनाते हुए समस्त विपक्षियों को नोटिस, जबकि एसआइटी की इंचार्ज मंजू नाथ व अपर सचिव रणवीर सिंह को दस्ती नोटिस जारी किया है। खंडपीठ ने मुख्य सचिव से तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश देते हुए पूछा है कि क्यों न इस मामले की सीबीआइ जांच कराई जाए। खंडपीठ ने इस घपले की जांच कर रहे अपर सचिव समाज कल्याण को हटाने का भी संज्ञान लिया है। कोर्ट के सख्त रवैये के बाद सरकार पर घोटाले के जिम्मेदार अफसरों समेत अन्य पर कार्रवाई का दबाव बढ़ गया