बल भैजी,
जिस राज्य के मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव करोड़ो रुपयों के घोटाले में संलिप्त घोटालेबाजों को बचाने के लिए कोर्ट में योजनाओं के शासानादेश एवं वास्तविक तथ्य छिपाकर शपथ पत्र दाखिल करें उस राज्य को लुटने पिटने से कौन बचायेगा ?
आखिर हालिया मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव, समाज कल्याण ने छात्रवृति घोटाले की जनहित याचिका में दिये अपने शपथ पत्रों में तत्कालीन मुख्य सचिव श्री इन्दु कुमार पांडे द्वारा वर्ष 2009 में जारी शासानादेश जिसके प्रावधान स्तर 2012-13 तक लागू रहे थे, का उल्लेख जानबूझकर क्यों नही किया होगा ये भी अपने आप मे एक अलग जांच का विषय हैं ।
पोस्ट में चस्पा यह शासानादेश वही है जिसने सचिव समाज कल्याण श्रीमती राधा रतूड़ी द्वारा 25-जुलाई-2006 को जारी शासानादेश को अतिक्रमित किया था और जिसे मुख्य सचिव अपने शपथ पत्र में कोर्ट के सामने नही लाये, क्यों नही लाये इस पर सवाल बहुत से हैं जो आज नही कल देर सवेर कोर्ट और जनता दोनों के सामने आएंगे ही । यदि मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव, समाज कल्याण के द्वारा ईमानदारी से इस शासानादेश को भी अपने शपथपत्र के माध्यम से तथ्यात्मक रूप से कोर्ट के सामने रखा होता तो कोर्ट में आज जनहित याचिका में स्थिति बनसप्त वर्तमान के बिल्कुल उलट होती ।
खैर राज्य की नौकरशाही के भ्रष्टाचार में आकंठ डूबने के बावजूद अगर उत्तराखण्ड में अभी भी आम जनता के लिये कुछ बचा है तो यह उन अनाम और नामी निस्वार्थ एक्टिविष्टो की रात दिन की मेहनत के बदौलत हैं जो अपनी जान हथेली पर लिये फिरते हैं जिन्हें घोटालेबाज और उनके तलवे चाटने वाले पत्तलकार अपने कुकर्मो पर पर्दा डालने को ब्लैकमेलर कह कर प्रचारित करते हैं ।
साभार-चंद्रशेखर करगेती
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