-राजभवन के निर्देश पर भी श्रीमती रावत पर कार्यवाही नहीं
-बिना अनुमति करोड़ों के भूखण्ड खरीदने का है मामला
-मोर्चा ने जून 2018 में की थी राजभवन से गुजारिश
-ढैंचा बीज घोटाले की काली कमाई से खरीदे गये थे भूखण्ड
विकासनगर,जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि मुख्यमन्त्री त्रिवेन्द्र रावत द्वारा जून 2018 में एक असहाय अध्यापिका उत्तरा पन्त बहुगुणा पर इसलिए कार्यवाही की थी कि वे बिना विभागीय अनुमति सी0एम0 दरबार में फरियाद लेकर पहुँची थी, जो कि उनके निलम्बन का करण बना। वहीं दूसरी तरफ मुख्यमन्त्री की पत्नी सुनीता रावत द्वारा बिना विभागीय अनुमति के करोड़ों रूपये भूमि के भूखण्ड खरीदने के मामले में कोई कार्यवाही न होना दोहरा चरित्र दर्शाता है, उक्त भूखण्ड, ढैंचा बीज घोटाले से अर्जित काली कमाई से खरीदे गये थे।
मोर्चा कार्यालय में पत्रकारों से वार्ता करते हुए नेगी ने कहा कि श्रीमती रावत, जो कि रायपुर ब्लाॅक, देहरादून के विद्यालय में अध्यापिका हैं, ने वर्ष 2010 व 2012 में बिना अनुमति करोड़ों रूपये के भूखण्ड खरीद डाले थे, जिसको लेकर मोर्चा द्वारा 30.06.2018 को राजभवन को शिकायती पत्र प्रेषित किया था, जिसका संज्ञान लेकर राजभवन द्वारा दिनांक 17.07.2018 को उक्त मामले में कार्यवाही हेतु पत्र अपर मुख्य सचिव, मुख्यमन्त्री को प्रेषित किया गया। उक्त के क्रम में निदेशक (प्रा0शि0) द्वारा दिनांक 29.10.2018 को जिला शिक्षा अधिकारी, देहरादून को कार्यवाही के निर्देश दिये, लेकिन कोई कार्यवाही आज तक नहीं हुई। नेगी ने कहा कि जीरो टोलरेंश की बड़ी-बड़ी बातें करने वाले मुख्यमन्त्री का अपनी पत्नी के मामले में जीरो टोलरेंश कहाँ चला गया। क्यों आज तक विभागीय कार्यवाही नहीं हुई। क्या सिर्फ मजलूमों, असहायों पर ही सरकार का चाबुक चलता है। मोर्चा उक्त मामले में न्यायालय में दस्तक देगा। पत्रकार वार्ता में मोर्चा महासचिव आकाश पवार, दिलबाग सिंह, ओ0पी0 राणा, नरेन्द्र तोमर आदि उपस्थित रहे।