? 1 सितंबर, 1994 को खटीमा में बेगुनाह आंदोलनकारियों पर मौत बरसाती पुलिस/पीएसी की गोलियों के बाद 2 सितम्बर, 1994 को उत्तराखंड आन्दोलन के इतिहास की एक और हत्यारी तारीख रही, इसी दिन मसूरी में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे आन्दोलनकारियों पर पुलिस और पी.ए.सी. द्वारा गोली चलाई गयी और 6 आन्दोलनकारियों को मौत के घाट उतार दिया गया, जिनमें 2 महिलायें हंसा धनाई और बेलमति चौहान भी शामिल थीं, बेलमति चौहान के तो माथे पर बन्दूक टिका कर पुलिस ने गोली चला दी थी जो पुलिस/पीएसी की बर्बरता की कहानी बयां करती है, पुलिस की गोली से उनका भेजा ही उड़ गया था, आज वो दिन याद करते हैं तो रोम रोम सिहर जाता है।

मसूरी हत्याकांड के 25वें साल पर आज मसूरी में उत्तराखंड आंदोलन के उस दिन को याद करते हुए मसूरी व देहरादून के आंदोलनकारी उत्तराखंड के गाँधी इंद्रमणि बडोनी चौक पर एकत्र हुए और जनगीत गाते हुए शहीद स्मारक तक पहुंचे, शहीद स्मारक पर सरकारी कार्यक्रम पहले से चल रहा था जिसमें मसूरी विधायक व नैनीताल लोकसभा के सांसद अजय भट्ट (बंगालियों के आरक्षण के पैरोकार) मौजूद थे। शहीद स्मारक पर नाच गाने की खबर से आंदोलनकारियों में रोष था, जनगीत गाते हुए आंदोलनकारी मंच तक पहुंचे और मंच पर चढ़कर पूरे जोश के साथ जनगीत गाने लगे। आंदोलनकारियों के जोश से सत्ता में बैठे विधायक ,सांसद के साथ ही सत्ता में बैठे मौकापरस्त स्थानीय नेता भी हतप्रभ थे । उन्हें आइना दिखाते हुए आंदोलनकारियों ने मंच से ही मुखातिब होकर बुरी तरह से लताड़ लगाई । उन्हें रोष था कि शहीदों की शहादत पर सत्ता इतनी संवेदनहीन कैसे हो सकती है, कि बजाये शहीद हुए आंदोलनकारियों के प्रति संवेदना प्रकट करने के सरकारी अमला वहां नाच गाने का फूहड़ कार्यक्रम करवा रही है। उत्तराखंड के शहीद अमर रहे के नारों की गूंज सुनकर भी सत्तादल के विधायक, सांसद व कार्यकर्तागणों के मुहं से एकबार भी शहीदों की याद में नारों को सम्मान स्वरुप “अमर रहें” तक कहने के लिए आवाज न निकली जो कि सत्ता की संवेदनहीनता स्पष्ट करती है।

शहीद आंदोलनकारियों को याद करते हुए आंदोलनकारी देहरादून से पहुँचे जयदीप सकलानी Aap KA Saklani, Trilochan Bhatt, Satish Satish, Bhargava Chandola, Ambuj Sharma, प्रदीप सती, Dharmanand Lakhera, आदि साथियों के साथ उनकी प्रतिमाओं पर पुष्प अर्पित करते हुए उनकी शहादत को याद कर नमन  किया, जिसमें “मसूरी इप्टा” के साथियों सतीश आदि की पूरी टीम वहाँ मौजूद रही । नाम से परिचित न होने के कारण मसूरी के साथियों के नामों को दर्ज नहीं कर पा रहा हूँ मगर मसूरी के साथियों का जोश व सत्ता में बैठे विधायक सांसद व मौका परस्त स्थानीय नेताओं को लगाई गई फटकार से शायद भविष्य के लिए सत्ता सबक लेगी।

   मंच से उतरे ही थे कि आंदोलनकारी साथी जयदीप सकलानी को मसूरी से दो बार विधायक व उत्तराखंड संघर्ष समिति के केंद्रीय अध्यक्ष रहे रणजीत सिंह वर्मा जी का देहांत होने का दुःखद समाचार प्राप्त हुआ, उन्होंने तत्काल मंच पर चढ़ते हुए इसकी सूचना मंच से, वहां उपस्थित मसूरी विधायक गणेश जोशी के सामने ही वहां उपस्थित अवाम को दी, मगर अफ़सोस कि मौजूदा विधायक गणेश जोशी जी ने सुनकर भी दो शब्द संवेदना स्वरुप पूर्व मसूरी विधायक जिनका उत्तराखंड आंदोलन में अमूल्य योगदान रहा संवेदना स्वरुप प्रकट नहीं की, इतना ही नहीं उनके तत्काल बाद नैनीताल लोकसभा सांसद अजय भट्ट ने भी अपने संबोधन में पूर्व विधायक रंजीत सिंह वर्मा के लिए संवेदना प्रकट करना उचित नहीं समझा उल्टा ये कहते हुए कि आज के दिन को ( जिस दिन पुलिस की बर्बरता से 6 लोगों ने शहादत दी ) हर्षोलास,ख़ुशी व उत्सव से मनाने की सलाह देते हुए आंदोलनकारियों के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया। जिससे वहां मौजूद आंदोलनकारियों को भारी ठेस पहुँची और उन्होंने नैनीताल सांसद की संवेदनहीनता पर रोष प्रकट करते हुए सरकार व सत्ता में बैठे जनप्रतिनिधियों पर लानत भेजी।

सरकार को दुत्कारते हुए देहरादून से गए साथी मसूरी शहीद स्मारक पर शहीदों के त्याग को याद करते हुए सीधे जॉलीग्रांट हॉस्पिटल पहुँचे तो जयदीप सकलानी, जिनका मसूरी पूर्व विधायक रणजीत सिंह वर्मा जी से पिता-पुत्र जैसा रिश्ता है ने हमें रास्ते भर में बताया कि

रणजीत सिंह वर्मा का उत्तराखंड के लिए क्या योगदान रहा, वो किस प्रकार के संवेदनशील व ईमानदार जनप्रतिनिधि रहे, किस प्रकार से उन्होंने देहरादून में उत्तराखंड राज्य आंदोलन की कमान संभाली, क्यों उन्होंने राज्य बनने के बाद चुनावी राजनीति से सन्यास लिया, एक एक बात सुनकर ऐहसास होता चला गया कि आज हमने कितना महान इंसान को खोया है, जिसकी भरपाई मौजूदा जनप्रतिनिधियों से करना भी बेमानी होगा, जॉलीग्रांट हॉस्पिटल पहुंचे तो वहाँ जाकर पता लगा वर्मा जी के पुत्र उन्हें वहाँ से लेकर देहरादून राजेंद्र नगर स्थित उनके निवास पर ले गए हैं हम उनके पीछे पीछे उनके निवास की तरफ बढ़ते चले गए, जयदीप भाई ने इस बीच वर्मा जी के बारे में और बातें बताई कि ये वही शख्स थे जिन्होंने जॉलीग्रांट हॉस्पिटल के लिए जमीन उपलब्ध करवाई, ये वही शख्स थे जिन्होंने राज्य आंदोलनकारियों के लिए पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी से देहरादून का शहीद स्मारक बनवाया, सुनते हुए गर्व भी हो रहा था और उनके जाने की पीड़ा भी, उनके निवास पर पहुँचे तो उनकी देह पर उनकी पत्नी, पुत्र, पुत्री, पुत्रवधु आदि को विलखते हुए देख कर मन उदास होता चला गया, अब उस महान आत्मा की अब सिर्फ यादें शेष हैं