देहरादून, पूर्व पुलिस महानिदेशक बीएस सिद्धू के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की भाजपा नेता रविंद्र जुगरान की याचिका को न्यायालय ने खारिज कर दिया। न्यायालय का तर्क है कि इस याचिका को सर्वोच्च न्यायालय तक खारिज कर चुका है, लिहाजा इस स्तर पर आदेश दिया जाना अधिकार क्षेत्र से बाहर है। वहीं इस मामले में अब रविंद्र जुगरान ने ऊपरी अदालत में अपील करने की बात कही है।
भाजपा नेता ने पूर्व पुलिस महानिदेशक बीएस सिद्धू पर आरोप लगाए थे कि उन्होंने आरक्षित वन क्षेत्र की भूमि को फर्जीवाड़ा कर खरीदा है। भूमि की रजिस्ट्री के लिए उसके फर्जी मालिक को पेश किया गया था। गत अक्तूबर में जुगरान ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने सिद्धू के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने संबंधी याचिका दायर की थी। इस पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने शहर कोतवाली पुलिस से आख्या मांगी थी, मगर शहर कोतवाली ने इस मामले को राजपुर थाना क्षेत्र का बताया था। इसके बाद मामले में राजपुर पुलिस ने अपनी आख्या अदालत में प्रस्तुत की। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने मामले को अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम के अधिकार क्षेत्र का बताकर मामला स्थानांतरित कर दिया था। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रिंकी साहनी की अदालत ने मामले में याचिकाकर्ता और विपक्ष के अधिवक्ताओं को कई तिथियों में सुना और शनिवार को निर्णय सुनाया। मंगलवार को मिले न्यायालय के आदेश के अनुसार जुगरान की याचिका को खारिज कर दिया गया है। न्यायालय ने कहा है कि इस मामले से संबंधित याचिका को एक बार उच्च न्यायालय और एक बार उच्चतम न्यायालय भी खारिज कर चुका है। लिहाजा इस याचिका पर मुकदमे के आदेश पारित करना न्यायोचित नहीं है। इस तरह दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156(3) के अंतर्गत इस प्रार्थनापत्र को खारिज किया जाता है। वहीं इस मामले में रविंद्र जुगरान का कहना है कि वे न्यायालय के इस आदेश के विरोध में ऊपरी अदालत में पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे।