गृहस्थियों के लिए जन्माष्टमी व्रत निर्विवाद रूप से 23/8/19 शुक्रवार को ही मनाया जाएगा।

यह व्रत शास्त्रोक्त मतानुसार जिस रात्रि में चन्द्रोदय के समय भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि हो ,उस दिन मनाया जाता है। माताएं मां देवकी के समान पूरे दिन निराहार रहकर व्रत रखती हैं तथा रात्रि में भगवान् के प्राकट्य पर चन्द्रोदय के समय भगवान् चन्द्रदेव को अर्घ्य देकर अपने व्रत की पारणा करती हैं।भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि में उदय होने वाले चन्द्रमा के दर्शन सर्वाधिक शुभ माने गए हैं। क्योंकि चन्द्रवंश में इसी चन्द्रोदय के समय भगवान् प्रकट हुए थे। यह चन्द्र उदय दर्शन का संयोग वर्ष में केवल एक ही बार होता है। इस बार यह संयोग 23 अगस्त शुक्रवार की रात्रि को है।अतः इसी दिन व्रत करें ।

इससे अगले कई दिनों तक गोकुल में तथा अनेक स्थानों पर भगवान् का जन्मोत्सव मनाया जाता है। क्योंकि गोकुलवासियों को अगले दिन सुबह ही पता चला कि नंद घर आनंद भयो है।और जन्मोत्सव शुरू हो गया।

अत: व्रत 23/8/19 को ही रखें। इसमें कोई विवाद नहीं है।

अतः समस्त पुजारीजनों से भी अनुरोध है कि 23/8/19 को ही अर्द्धरात्रि तक कीर्तन,प्रसाद, चरणामृत की व्यवस्था करें।

जो व्रत 24 अगस्त को कहता है ।वह शायद यह नहीं जानता कि 24 को अष्टमी प्रातः 8:32 तक ही है। फिर नवमी लग जाएगी और नवमी का चन्द्रोदय मान्य नहीं है।

                                जय श्री कृष्ण हरे ,भगवान सबका भला करें