आज नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की पुण्यतिथि है । कुछ लोग उनको आदर और प्यार से सुभाष बाबू भी कहते थे । नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का अभिवादन, आपको शत- शत नमन और कोटि- कोटि प्रणाम । आपने इंग्लैंड से आइसीएस की परीक्षा पास की थी पर भारत लौटने के बाद आपने अंग्रेजों के प्रशासनिक विभाग में उच्च अधिकारी नियुक्त होने से अच्छा, देश सेवा करना बेहतर समझा और कांग्रेस पार्टी में रहकर आजादी की लडाई में कूड़ पड़े । उस समय कांग्रेस के सर्वेसर्वा महत्मा गांधी थे और उसकी बागडोर पूरी तरह से उनके हाथ में थी अर्थात खाता न बही,जो गांधीजी कहें वही सही? कांग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव था । गांधीजी की मंशा पट्टाभि सीतारामन कौ पार्टी अध्यक्ष बनाने की थी और सूभाष बाबू भी बापू की मर्जी के खिलाफ चुनाव लड़े और जीत गए और कांग्रेस के अध्यक्ष भी बन गए । उनकी यह बड़ी कामयाबी ही बाद में उनके जीवन का सबसे बड़ा कठिन मोड़ साबित हुआ? गांधीजी से अपने मतभेदों के चलते उनको इसके अध्यक्ष पद को छोड़ना पड़ा और कांग्रेस का विभाजन हुआ? क्योंकि कुछ लोग सशस्त्र क्रांति के मध्यम से अंग्रेजों को भारत से बाहर भगाना चाहते थे तो बाकी सत्याग्रह और धरना-प्रदर्शन के द्वारा । ये विचारधारा गरम और नरम पंथ के नाम से जाने जानी लगी ? बाद में नेताजी को अंग्रेजों ने कोलकाता में उनके घर में नजरबंद कर दिया पर वो वहां से वेश बदल कर फरार हो गए और जर्मनी जा पहुँचे । वो अंग्रेजों के कट्टर शत्रु हिटलर और मुसोलिन , रूस और जापान की मदद लेकर देश को आजाद कराने की कोशिश में थे । उन्होने सिंगापुर में आजाद हिंद फौज का गठन किया, बर्मा में इसका हेडक्वार्टर बनाया गया । प्रवासी भारतीयो ने धन और महिलाओने उन्हें अपने जेवर देकर, इस कर्य में उनकी मदद की । उन्होने भारतीयों से आह्वान किया । कि—- तुम मुझे खून दो मै तुम्हे आजादी दूँगा ।लेकिन दितीय विश्वयुद्ध में मित्र राष्ट्रों की जीत से उनका यह सपना अधूरा ही रह गया? हिरोशिमा और नागासाकी पर एटम बम गिरने से जापानियों ने अपने सम्राट की आत्मसमर्पण की अपील के बाद हथियार डाल दिए, रंगून पर अंग्रेजों का कब्जा हो गया । बर्मा की लडाई में आजाद हिंद फौज भी जापानियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ी थी । नेताजी भी रंगून से रूस जाने की कोशिश में एक विमान दुर्घटना में बुरी तरह घायल हो गये और कह दिया गया कि मारे गए? वह एक छोटा विमान था,जिसमें 4-5 आदमी ही सवार हो सकते थे ? पहाड़ के बहुत से लोग भी उनकी आजाद हिंद फौज में थे और इसमें महिलाएं भी थी। द्वितीय विश्व युध्द्ध मे हार के बाद आजाद हिंद फौज भी भंग कर दी गई । भारत आजाद होने के बाद न तो इनको भारतीय सेना में ही लिया गया और शायद न कोई सुविधा और पेंशन ही मिली? स्वयं नेताजी की मृत्यू भी रहस्यों के घेरे में रही? कुछ लोग कहते हैं कि, विमान दुर्घटना के बाद भी वो जीवित थे और उनको कैद करके रूस की जेल में रखा गया और उनकी मृत्यू की झूठी अफवाह उडाई गई थी । बाद में कई बार इस उस अखबार में उनके अमुक तिथि पर तमुक शहर में प्रकट होने की खबरें काफी समय तक छपती रही पर नतीजा शून्य ही रहा । कई लोग शौलमारी आश्रम के बाबा को सुभाषचंद्र बोस बताते थे ? महत्मा गांधी को राष्ट्रपिता की उपाधि उन्होने ही दी थी ।उन्होने बापू तीव्र मतभेदों के बाद भी कभी उनकी मुखा लपत / कटु आलोचना नहीं की ।कांग्रेस छोड़ने के बाद,उन्होने फारवर्ड ब्लॉक नाम की पार्टी की भी स्थापना की थी ।उनके एक पुत्रि अनिता बोस हैं । जय हिन्द का नारा भी उन्होने ही दिया था ? नमन नेताजी,एक सच्चे शूरवीर ,देशभक्त और लीडर —नेता उर्फ नेतजी।