हरिद्वार, श्रावण मास में देवों के देव महादेव भगवान शिव की आराधना करने से व्यक्ति को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। क्योंकि श्रावण मास भगवान शिव का प्रिय मास है और महादेव की पूजा अर्चना को समर्पित है। उक्त उद्गार नीलधारा तट स्थित श्रीदक्षिण काली मंदिर में म.म.स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज ने भगवान शिव की आराधना के पश्चात श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि भगवान शिव की आराधना मात्र से व्यक्ति का जीवन भवसागर से पार हो जाता है, और भोले शंकर की अर्चना से मन में प्रेम का अंकुर प्रुस्फुटित होता है। जो आत्मा का परमात्मा से साक्षात्कार करवाता है। भगवान ने कर्म करने के लिए ही व्यक्ति को धराधाम पर भेजा है। जिसकी प्रधानता से ही वह महान बनता है। व्यक्ति को मोह माया का त्याग कर भगवान शिव की आराधना में लीन रहना चाहिए। तभी उसके कल्याण का मार्ग संभव है। उन्होंने कहा कि सृष्टि की उत्पत्ति व संहार के अधिपति भगवान शिव हैं। महादेव ही अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदि स्रोत हैं। संपूर्ण ब्रहामण्ड भगवान शिव के अंदर समाया है। जो व्यक्ति श्रद्धापूर्वक श्रावण मास में नियमित रूप से भगवान शिव का जलाभिषेक करता है। उसके जन्म जन्मांतर के पापों का शमन हो जाता है। उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्ति होती है। परिवार में सुख समृद्धि का वास होता है। हरिद्वार आगमन पर शिव भक्तों से अपील करते हुए उन्होंने कहा कि मां गंगा की निर्मलता व अविरलता को बनाए रखें। गंगा को स्वच्छ व निर्मल बनाए रखने में सभी की सहभागिता जरूरी है। इस अवसर पर पंडित प्रमोद पांडे, आचार्य पवन दत्त मिश्र, पंडित शिवकुमार, अंकुश शुक्ला, बालमुकुन्दानन्द ब्रह्मचारी, अनुराग वाजपेयी, अनुज दुबे, अनूप भारद्वाज, विवेकानन्द ब्रह्मचारी आदि सहित 11 विद्वान पंडितों द्वारा भगवान शिव के मंत्रों का वैदिक विधि विधान से उच्चारण कर पूजा अर्चना की गयी।