मित्रता दिवस पर ,मै सोच रहा था कि, अवसर पर बहुत सारे लोग हमारे नेशनल हीरो जय और वीरू को ढेर सारी बधाई और शुभकामना देंगे ? क्योंकि कृष्ण और सुदामा की दोस्ती की कहानी और मिसाल सदियों पुरानी हो गई है और हमारे आज के लोकतांत्रिक ज़माने की यह एक सुपर हिट जोड़ी है ? इन्होने कांग्रेस की तो खाट खड़ी की ही की पर बूढ़े ताऊ- चाचा को भी नहीं बख्शा और वैसे उन बुजुर्गों के बस का था भी नहीं महाकाल के धनुष झेलना। इस जोड़ी ने कमाल भी बहुत किया और धमाल भी बहुत किया । “जय” तीन बार मुख्यमंत्री भी रह चुका था और जब बोलता है तो बाकी सब की बोलती बंद कर देता है और हवा भी टाईट कर देता है। वो कभी –कभी एक आध बार झूठ भी बोल देता है पर राजनीति में इतना तो चलता ही है । वो कहने को तो सबको भाइयों और बहनों ही कहता है पर एक हाथ में विकास का लॉलीपॉप रखता है तो दूसरे में चाबुक और “बीरू” जो है, वो जय का हनुमान है,जब वो आउट ऑफ़ प्रोटोकाल होता है तो बीरू कई बार जय को मोटा भाई बोलता है ,जबकि मोटा वो खुद है।
पिछले के पिछले लोकसभा चुनाव में मोटा भाई को चंद्रगुप्त बनना था तो वह चुनाव के पहले, बीरू को यूपी के लिए अपना पर्सनल चाणक्य बनाकर गुजरात से लाए । लोगों को बड़ा आश्चर्य हुआ। क्योंकि यूपी में नल ,नील, सुग्रीव एक से एक महारथी पड़े थे चुनाव की कमान सँभालने के लिए । कईयों ने कहा,अरे यार इसे तो ये भी पता नहीं होगा कि, दिल्ली के बाद पहले मेरठ आता है या मुजफ्फरनगर और उसके बाद पहले ऋषिकेष आता है या हरिद्वार पर उस काक खोपड़ी मोदी भक्त हनुमान ने ऐसी बिसात बिछाई कि, कांग्रेस .सपा, बसपा और लोकदल ,सबकी धोती फाड़कर उसका रुमाल कर दिया। चुनाव में पार्टी भी 70 सीट पाकर गदगद हो गई ।भई वाह ! मजा आ गया, सब की लेंडी तर हो गई। उस आंधी में वो दो लड़के कहाँ गए ,कहाँ उनकी साइकिल गई ? हाथी – चूहे बनकर बिल में घुस गए और साथ में छोटे चौधरी की राजनीति भी “घुस”गई । किसी पत्रकार ने पूछा मोटा भाई ,आपकी सफलता का रहस्य क्या है ? तो भाई कुछ न बोलकर सिर्फ मुस्कराते रहे। बाद में, एक रात पार्टी में किसी कार्यकर्त्ता ने उस पत्रकार को झांझ में बताया कि, हमने आधा लोगों को राम मंदिर का झुनझुना पकड़ाया और बाकी को तीन तलाक का और खेल खल्लास।
अब इस लोकसभा चुनाव में भाजपा को ऐसी 57-58 सीटों पर बहुमत मिला था जहाँ हिंदू वोट कम थे। मोदीजी के बारे में लोकसभा चुनाव के पहले जो जुमला सर्वाधिक प्रचलित हुआ वह था कि- “मोदी है तो मुमकिन है” और आज सचमुच मोदीजी ने उसको मुमकिन करके दिखा दिया । इसके बाद आगामी विधानसभा चुनावों में, वोटों के जुगाड़ के चक्कर में उनके दिल में मुस्लिम प्रेम उछाल मारने लगा । वैसे पार्टी के 2 बड़े नेता मुस्लिम चेहरा तो थे पर उनमें ये दम नहीं था की वोट खींच सकें लेकिन पार्टी के कई बड़े नेताओं की मस्लिमों से रिश्तेदारी थी।
मोदीजी भी खुद शुरू से ही 125 करोड़ की ही बात करते थे मगर उनके चेले-चांटे सोशियल मीडिया में तैमूरलंग और औरंगजेब के लौटकर आने की आशंका का हिंदुओं को ऐसा भय दिखाया और दम दिया कि वो काफी बड़ी संख्या में एकजुट होकर भाजपा के पीछे हो लिए। अच्छा ये भी मोदी की ही खूबी है कि दुबई के शेख ने कट्टर इस्लाम की धरती पर मंदिर बनाने की उनको इजाजत दे दी । वहां की बेगमें सर पर भागवत उठाकर रामायण का सस्वर पाठ करने लगी । अब बोलो — मोदी है तो मुमकिन है कि नहीं ? कुछ दिनों से भारतीय राजनीति की स्तिथि ये थी कि महबूबा और उमर डरे हुए थे औऱ फारुख अब्दुल्ला की भी शायद कश्मीर क्रिकेट एसोशिएसन के घोटाले में फंस जाने की पूरी उम्मीद है। तो उधर रामपुर में आज़मखान का जौहर विश्वविद्यालय चोरी की पुस्तकों को लेकर जांच के घेरे में है और आजमखान की भी वक्फबोर्ड की जमीन के घोटाले में फंस जाने की पूरी उम्मीद है ।
इधर मित्रता दिवस ख़तम हुआ और उधर जय और वीरू ने चुपके –चुपके शत्रुता दिवस की स्क्रिप्ट लिखनी शुरू कर दी।कश्मीर में फ़ौज की बड़ी संख्या में तैनाती और अमरनाथ यात्रा बीच समाप्त होने की घोषणा ने उमर ,महबूबा ,फारुख और गुलाम नबी के दिल में खलबली पैदा कर दी । उन्हें लग गया कि कुछ बड़ा होने वाला है।
लोगों ने पूछा क्या बात है ? इतना लाव –लश्कर किसलिए ? जय –बीरू ने कहा – कुछ नहीं खटमल-मच्छर थोड़ा ज्यादा हो गए बाकी सब सामान्य है। लोगों को लगा क्या पता फ़ौज पकिस्तान में घुसकर आतंकी कैम्पों पर दुबारा कोई सर्जिकल स्ट्राईक करे। पर जय –बीरू की गाज गिरी काश्मीर के उस काले कानून की धारा 370 और 35 – ए पर जिसके विसंगत प्रावधानों के कारण पत्थरबाजों, अलगाववादियों और उनके आकाओं को तो फ्री की सब्सिडी डकार कर कुछ ज्यादा ही चरबी चढ़ गई थी औऱ भारतीय फ़ौज की मुश्किलें बढ़ गई थी।