निरंकारी बाल समागम में उपस्थित बच्चे।
देहरादून, नई पीढ़ी में निरंकार परमात्मा एवं मानवता के कल्याण हेतु स्नेह, प्यार, नम्रता, मानवता, सहनशीलता एवं एकत्व के भाव उजागर हों, इसके लिए सन्त निरंकारी सत्संग भवन, हरिद्वार बाईपास के तत्वाधान में आयोजित रविवार को एक जोनल स्तरीय विशाल बाल संत समागम का आयोजन किया गया।
जिसकी अध्यक्षता गाजियाबाद से आए हुए प्रचारक हिमांशू ने सद्गुरु माता सुदीक्षा सविंदर हरदेव जी महाराज का पावन सन्देश देते हुए कहा कि जब तक मानव अपने मूलरूप, ईश्वर, निरंकार को नहीं जान लेता तब तक उसके जीवन में संसार एवं संसार में विचरण करने वाले प्राणियों के लिए प्यार उत्पन्न नही हो सकता। इसलिए हर मानव के लिए यह जरूरी है कि वे अपना जीवन सफल बनाने के लिए ईश्वर को जाने और ईश्वर की बनाई हुई इस धरा पर विचरण करने वाले हर प्राणी के लिए अपने दिल में प्यार उत्पन्न कर ईश्वररूपी आनन्द को प्राप्त कर सके।
उन्होंने आगे कहा कि निरंकार प्रभु के दर्शन सत्गुरु की कृपा से ही होते हैं जोकि मनुष्य जीवन का असल उद्देश्य हैं। सद्गुरु ने हमें निराकार से जोड़कर जन्म-मरण के बन्धनों से मुक्त कर जहां समस्त भ्रम-भ्रांतियों से निकाला है वहीं एक प्रभु परमात्मा का अहसास देकर सेवा-सुमिरन-सत्संग करते हुए भक्ति का दान भी दिया है हमारे दिलों में एक स्थिरता भी आई है। सत्गुरु के समक्ष साध संगत में सभी दैविक शक्तियां विराजमान होती है। संगत में सत्गुरु के समक्ष सभी दैविक शक्तियां विराजमान होती है। जब सत्गुरु खुश होता है तो सेवा देता है। मनुष्य सेवा-सुमिरन-सत्संग अपनाकर अपने जीवन को सुखी व परलोक सुहेला करता है तभी हमारा यह मनुष्य जीवन सार्थक होगा। सत्गुरू सदैव अपने गुरूसिख को अपने समान देखना चाहता है। अखिल ब्रह्माण्ड में करोड़ों लोग है और कुछ गिने चुने ही लोग है जिन्हें परमात्मा का ज्ञान होता है। हम इस ज्ञान की कद्र करें। वहीं जोन-55 मसूरी से आये हुए जोनल इंचार्ज हरभजन सिंह ने कहा कि आगामी रविवार 4 अगस्त 2019 को माता सविन्दर हरदेव जी की याद में प्रेरणा दिवस के रूप में मनाया जायेगा। उन्होंने कहा कि बच्चों में मानवता के कल्यानार्थ एवं निरंकार प्रभु के प्रति स्नेह जो देखने को मिला उससे हृदय के भाव गद-गद हो गये। साथ दूर दराज से आये हुए सभी बाल संगत के बच्चों बधाई दी एवं अपना शुभ आशीर्वाद देते हुए स्वागत भी किया। इस बाल संत समागम में पूरे उत्तराखण्ड देहरादून, पौड़ी, नरेन्द्रनगर, ऋषिकेश, कोटद्वार, बालावाला, मसूरी, झबरेरा, डोईवाला, भोगपुर, विकासनगर, प्रेमनगर इत्यादि जगहों से छोटे-छोटे बाल संत महापुरुष पहंुचे। जिन्होंने गीत, प्रवचन, गढ़वाली, नेपाली, हिन्दी, पंजाबी, कुमाउंनी, भाषा का सहारा लेकर समस्त संन्तों भक्तों को निहाल किया। वहीं इस समागम को सफल बनाने में सेवादल के भाई बहनों ने लंगर, प्याउ, ट्रैफिक की समस्त सेवाओं को सुन्दर रूप दिया साथ ही मंच संचालन बहन अलका ने किया।