देहरादून, आरटीई (शिक्षा का अधिकार) के तहत निजी स्कूलों में मुफ्त शिक्षा का विकल्प होने के बाद भी सीटें नहीं भर पा रही हैं। शिक्षा सत्र 2019-20 के लिए आरटीई की अभी तक करीब 27 फीसद सीटें ही भरी हैं। ऐसा पहली दफा हुआ है, जिसके लिए शिक्षा विभाग व शासन को भी इस ओर गंभीरता से मंथन करना चाहिए।
देहरादून की पहचान एजुकेशन हब के रूप में है। जहां हर अभिभावक की यह ख्वाहिश रहती है कि उसका बच्चा अच्छे से अच्छे स्कूल में पढ़े। उस पर यदि सरकारी खर्च पर पढ़ने का अवसर मिले तो यह मौका भला कौन चूकेगा। हम बात कर रहे हैं शिक्षा का अधिकार की। जिसके तहत अपवंचित वर्ग के छात्रों के लिए निजी स्कूलों में 25 फीसद सीटें आरक्षित रहती हैं। हर वर्ष आरटीई में दाखिले के लिए मारामारी रहती है, लेकिन जिले में इस साल आरक्षित 4900 सीट पर केवल 3184 रजिस्ट्रेशन ही हो पाए। इनमें से भी कई दाखिला प्रक्रिया में फिट नहीं बैठे। 327 मामले फर्जी होने के कारण बाहर कर दिए गए। जबकि तय डेडलाइन निकल जाने के कारण 1534 का सत्यापन ही नहीं हो पाया। ऐसे में अभी तक सिर्फ 1323 बच्चों को ही प्रवेश के लिए अर्ह पाया गया है। जिला शिक्षाधिकारी राजेंद्र सिंह रावत का कहना है कि सत्यापन से चूके अभ्यर्थियों को अभी मौका दिया जाएगा। इस पर विचार किया जा रहा है और डेडलाइन बढ़ाने की तैयारी है।