हे बेटा दुर्योधन, देख्दौं जरा भैर, ह्वेगी होलु बिद्दू, ध्रतराष्ट्र न पुछी ? कनि बरखा या झुकीं ब्याली रात बिटि माच्दु की, सैडु महल चूंण लग्युं. रातभर तेरी बई अर दास –दासी, सब पणधार्यों निस लोट्या, गिलास ,पतेला धर्र्न पर रैन ल्ग्यां. एक घड़ी जु आँखा बुजेन हो माचु. अरे पिताजी त आपन मेरा शयनकक्ष म ऐजांण थौ. अब बेटा त्वेन त सुबेर युद्धभूमि म भी जांण थौ त मैन सोचि कि त्वे कख डिस्टर्ब करूँ .
अर सुणदौं, कुई वख पोर बि गई होलु तेरा दादा का धोरा ? कखी बुढ़या की बांणशय्या बगी न हो माचु रात बरखा म ? बाबाजी, अब दादा होरुक सुबेर की चा लिजाण की ड्यूटी त छोटी मौ कौंकी . दादा सणी जु कुछ होंदु त अबरेक त कबारी मैसेज ऐ जांण थौ मैहल म —— कम सून, दादा ईज लापता ?
अब आज त क्या ही होलु युद्ध यीं बरखा म ? महाराज न चिंता व्यक्त करी. तनु भी बाबाजी ब्यालि कई सैनिक रिक्वेस्ट था करना कि, माराज दुई –तीन दिन का खातिर युद्ध रोक दिए जाऊ अर अवकाश घोषित किये जाऊ. मैंन पुछी, किलै भाई, के ख़ुशी म ? हे माराज, गाड ठेठ मत्थी सेरों म ऐगी अर साट्यों की सारी बिज्वाड़ बगी रै. अब फिर दुबारा सैंदु करा, रोपणी लगा, नितर भात की स्याणी ह्व़ेजाण ऐंसु बळ ? तब फंडु पुछिकर भाई, श्रीकृष्ण सणि . अच्कालु त खाता न बही, जो देवकीनंदन बोले बस वही सही ?
पिताजी, आज जु युद्ध होलु न, त बरखा म भिजिक अर्जुन का गांडीव धनुष न टांय- टांय फुस्स ह्व़ेक जाम ह्व़ेजांण अर वैका रथ कु पहियाँ भी किच्चड़ म धंसजांण———ले अब खा माछा ?
हे बेटा, युद्ध म जालु त छतरू लिजै साथ म ,सुद्दी नि भिजी बरखा म. अब पिताजी एक हाथ पर हैका पर छतरु त फिर बाण चलोंणक़ तिसरू हाथ कखन ल्योंण मैंन ? अरे एक सैनिक, छतरा लीक रथ पर खडू रखी रथ पर अपणा पिछाड़ी . अर तेरी बै क्य होलि करनी, रस्वाड़ा म होलि दास -दासियों गैली ? आज त बेटा आल्लु की पकोड़ी अर पिंडालु का पत्यूड़ खांण कु जू बोल्नों ये मौसम म.
बाबाजी एक बात बता कि, दादा सणि गंगापुत्र किले बोल्दा होला ? गंगा त यूपी बिहार म बगदी , यख हमारा धोरा त जमुना छ अर व भी काफी दूर दिल्ली म ? पता नी यार उ भीष्मपितामह कु बुबा जाणु पर मै यनु पता कि, एक बरस चौमासा म अर्जुन का बुबा न बण फंडु कखी कजालु पाणी पी दिनि अर तब वे पांडु रोग / पीलिया ह्व़े पड़ी.
अर पिताजी, एक बात मेरा य समझ म नि आई कि, शकुनि मामा न लाक्षागृह ततखा दूर केक बणवाई उत्तराखंड म, कखि यखि बणोंदा नजीक हरियाणा –पंजाब म ? अब बेटा यीं सणि त बोल्दा प्रशासनिक भूल या रौंग डिसीजन. चला अब जु ह्व़े स्यु ह्व़े .अब अगर पिताजी मै जु पांडवों सणि जुआ न खिलौंदु त तब होंण थौ यु हस्तिनापुर हमारू ? पता नि आज हम कै कुणेठा पर पण्या होंदा ?
अच्छा, चलदौं अब मै, जरा भैर जैक पता करदों कि, आज युद्ध होलु भी कि नि होलु या आज रेनी –डे की वजह से कैंसल ह्वेगी , तनु भी आज मैंन युद्ध म हाफ डे जांण थौ. अर बेटा जरा तै संजय क बोलि कि, युद्ध की रनिंग कमेंट्री जरा ठीक से करू, कई बार पता ही नि चल्दु कि अश्वत्थामा बोलणु कि सुदामा ? ओके दुर्योधन टेक केयर ऑफ़ यू . थैंक्यू डैड कहकर दुर्योधन कक्ष से बाहर निकल गया .