इन्द्रेश मैखुरी
उत्तराखंड में 108 आपातकालीन एम्बुलेंस सेवा संचालित करने वाले कर्मचारी, जिन्हें नई कंपनी को टेंडर देने के फलस्वरूप अस्थायी नौकरी से भी बेदखल कर दिया गया है, उनके आंदोलन को 45 दिन हो गए हैं.
इस बीच सचिवालय पर प्रदर्शन के चलते उन्हें गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया.एक दिन बाद वे रिहा किये गए.
इस आंदोलन का एक रोचक पहलू यह है कि आंदोलित कर्मचारियों की यूनियन-भारतीय मजदूर संघ से सम्बद्ध है. जिस कंपनी को एम्बुलेंस संचालन का ठेका मिला है, वह भाजपा के मध्यप्रदेश के बड़े नेताओं के करीबियों की बताई जा रही है. उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. इस तरह यूनियन, ठेका पाने वाली कंपनी और सरकार-तीनों एक ही पक्ष की हैं और उसके बावजूद ठेका पाने वाली कंपनी और सरकार को अपनी ही यूनियन से सम्बद्ध 713 कर्मचारियों की नौकरी छीनने में कोई हिचक नहीं महसूस हुई.
इससे स्पष्ट हो जाता है कि यूनियन, कंपनी और सरकार भले ही एक पक्ष की हो, परंतु बेरोजगार और अर्द्ध बेरोजगार सत्ता की गोद में भी बैठे होंगे तो भी वे दुत्कारे ही जायेंगे.
7 जून को जबरन बेरोजगार किये गए उक्त युवा कर्मचारियों के धरने पर, अपनी पार्टी-भाकपा(माले) की तरफ से इन कर्मचारियों के संघर्ष के प्रति एकजुटता जाहिर करने देहरादून में परेड ग्राउंड स्थित धरना स्थल पर मैं गया.वीडियो इन में से एक साथी रवि अंजू के फेसबुक वॉल से प्राप्त हुआ है..
विडियो देखें .