सब कुछ ठीक ठाक रहा और देहरादून के लोगों ने इस मुहिम में हाथ बंटाया तो आने वाले दिनों में शहर में जगह-जगह प्लास्टिक का कूड़ा बिखरा हुआ नजर नहीं आएगा। भारतीय पेट्रोलियम संस्थान इस प्लास्टिक वेस्ट से एसबी-6 श्रेणी का उन्नत किस्म का डीजल बनाने की तैयारियां शुरू कर दी हैं।
गति फाउंडेशन के साथ एमओयू
अपनी इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए आईआईपी ने देहरादून के एक थिंक टैंक गति फाउंडेशन के साथ समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किये हैं। इस समझौते के तहत आईआईपी ने गति फाउंडेशन को अपना सामाजिक साझेदार बनाया है। गति फाउंडेशन प्लास्टिक वेस्ट एकत्रित करके आईआईपी को देगा और और आईआईपी 1000 किग्रा. प्लास्टिक वेस्ट से 800 लीटर डीजल तैयार करेगा।
लोगों से अपील
गति फाउंडेशन के अनूप नौटियाल का कहना है कि इस मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए वे तमाम संगठनों, संस्थानों, समूहों से संपर्क करेंगे। वे लोगों से अपने-अपने यहां प्लास्टिक बैंक बनाने के लिए कहेंगे। संबंधित संस्थान अथवा संगठनों से संबंधित सभी लोग अपने द्वारा इस्तेमाल किया गया एक बार प्रयोग किया जाने वाला प्लास्टिक इस प्लास्कि बैंक में जमा करेेंगे, जहां से गति फाउंडेशन इसे एकत्रित करके आईआईपी के सुपुर्द करेगा।
दोहरा लाभ होगा
यदि यह योजना सफल हुई तो इसका दोहरा लाभ होगा। एक तो शहर में जहां-तहां प्लास्टिक वेस्ट बिखरा हुआ नजर नहीं आएगा। अब तक शहर में स्थिति यह है कि अपने चारों ओर कहीं भी नजर दौड़ाएं हर तरफ प्लास्टिक वेस्ट ही नजर आता है। इसमें ज्यादातर एक बार इस्तेमाल किया जाने वाला प्लास्टिक वेस्ट है। इससे एक ओर जहां शहर की सुन्दरता को ग्रहण लग रहा है, वहीं दूसरी तरफ यह प्लास्टिक वेस्ट पर्यावरण और आम नागरिक के स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक साबित हो रहा है। गति फाउंडेशन का इरादा है कि प्लास्टिक वेस्ट एकत्रित करने की इस योजना को देहरादून से शुरू करके पहले पूरे उत्तराखंड में और उसके बाद सभी हिमालयी राज्यों तक पहुंचाया जाए।