देहरादून, भले ही भाजपा ने लोकसभा चुनाव मंे उत्तराखण्ड की पांचों सीटें जीत ली है लेकिन, अगर आगामी विधानसभा चुनाव के लिहाज से देखा जाए तो प्रदेश की तीन विधानसभा सीटों पर भाजपा के लिए खतरे की घंटी बज रही है। खतरे की घंटी इसलिए क्योंकि इन तीन सीटों पर मोदी मैजिक के बावजूद भाजपा का ग्राफ पिछले चुनाव के मुकाबले गिरा है। तो क्या यहां के विधायकों की लोकप्रियता कम होती जा रही है। जिन तीन सीटों की हम बात कर रहे हैं वह हैं हरिद्वार की खानपुर और हरिद्वार ग्रामीण। हैरत में डालने वाली तीसरी सीट ऊधम सिंह नगर की बाजपुर है।
बाजपुर से तो खुद कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य विधायक हैं। दूसरी तरफ खानपुर से बाहुबली कुंवर प्रणव सिंह चैम्पियन विधायक हैं, जो अपनी सीट को अभेद्य किला बताते रहे हैं। हरिद्वार ग्रामीण की सीट भी कम अहम नहीं है. हरीश रावत को हराकर भगवाधारी स्वामी यतीश्वरानन्द यहां से विधायक बने हैं। राजनीति के कलाबाज कुंवर प्रणव चैम्पियन की हालत तो नाम बड़े और दर्शन छोटे वाली ही है। सबसे ज्यादा वोटों से भाजपा इन्हीं के क्षेत्र में पीछे रही है। हरिद्वार लोकसभा के तहत आने वाली उनकी विधानसभा खानपुर में भाजपा की हालत खराब होती जा रही है। इस लहर में भी विधानसभा के मुकाबले इस बार खानपुर में पार्टी को कम वोट मिले हैं। दो साल पहले 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में चैम्पियन को 53.191 वोट मिले थे लेकिन इस लोकसभा के इस चुनाव में भाजपा को 48,397 वोट ही मिले। यानी 4795 वोट कम. प्रदेश की सभी 70 सीटों में भाजपा का ग्राफ इन्हीं के क्षेत्र में सबसे ज्यादा गिरा है। दूसरी वीआईपी सीट है बाजपुर की, यहां 2017 के विधानसभा चुनाव में कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य को 54,965 वोट मिले थे लेकिन इस बार मिले सिर्फ 51,866। यानि 3099 वोट कम, मंत्री रहते यशपाल आर्य के क्षेत्र में भाजपा का ग्राफ गिरना पार्टी के लिए चिन्ताजनक है।