देहरादून, उत्तराखंड बेरोजगार महासंघ ने उत्तराखंड के युवा व जन विरोधी कैबिनेट निर्णयों, शासनादेशों एवं राज्य में सीधी भर्तियां निकाले जाने की मांग को लेकर नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया व धरना दिया। उनका कहना था कि लगातार उनके हितों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। 
उत्तराखंड बेरोजगार महासंघ से जुड़े हुए शिक्षित बेरोजगार महासंध अध्यक्ष बाॅबी पंवार के नेतृत्व में गांधी पार्क के समक्ष इकटठा हुए और वहां पर उन्होंने प्रदर्शन करते हुए धरना दिया।इस अवसर पर बेरोजगारों ने कहा कि प्रदेश के भीतर रोजगार की आस लगाए व प्रादेशिक सेवायोजन कार्यालयों में पंजिकृत लाखों बेरोजगार हताशा की कगार पर खड़े हैं। बेरोजगारों ने कहा कि  बेरोजगार युवाओं को कड़कडाती ठंड में प्रदेश के अधीनस्थ  अधीनस्थ चयन आयोग, उत्तराखंड द्वारा भर्ती प्रक्रिया रद्द कर दी गई है बाद में आयोग ने रिक्त पदों की भर्ती संबंधी जानकारी अपनी वेबसाईट पर अपलोड की हैं। सभी बेरोजगार, रोजगार की आस में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के साथ साथ पिछले कई वर्ष से सिर्फ एक ही कार्य करते आ रहे हैं। इसमें यह बताया गया है कि संघर्ष करना पड़ता है कि पहले पदों की रिक्तता जानने के लिए लड़ें, फिर रिक्त पदों की भर्ती प्रक्रिया शुरु करवाने के लिए लड़ें,  लंबित हो जाने वाली परीक्षाएं आयोजित करवाने के लिए संघर्ष करें, फिर परीक्षा परिणाम घोषित करवाने के लिए लड़ें और अंत में नियुक्ति पत्र पाने व नियुक्ति पाने के लिए भी लड़ें। इसमें कहा गया है कि दिन-रात का संघर्ष इसलिए भी कर पा रहे हैं कि हममें से कोई न कोई बेरोजगार सम्मानजनक सेवायोजन समूह ग में पा लेगा, क्योंकि राज्य सेवायोजन की नीति के अनुसार समूह ग की भर्ती में स्थानीय प्राथमिकता दिए जाने का प्रावधान निहित रहा है। परंतु हाल के एक न्यायिक आदेश द्वारा इस सीमांत प्रदेश के युवाओं के सपने को चकनाचूर कर रख दिया है और अब राज्य के भीतर समूह ग तक में प्रदेश के लोगों को प्राथमिकता को किनारे फेंक दिया गया है।  
बेरोजगारों ने कहा कि लगातार संघर्ष करने के बाद भी विज्ञप्ति जारी नहीं की जा रही है और आयोग के सचिव कह रहे है कि सरकार से उन्हें अनुमति नहीं है। आयोग ने जो 1800 पद बताये गये है और आयोग के सचिव व सरकार मिलकर राज्य के छात्रों को गुमराह कर रहे है और उनके पास पद है ही नहीं और न ही वह छात्रों को रोजगार देना चाहते है।  वक्ताओं ने कहा कि सरकारी विभागों की भर्तियों में राज्य के बेरोजगार नौजवान युवाओं को अपने परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और उनकी मांगों पर किसी भी प्रकार की कोई कार्ययोजना तैयार नहीं हो पा रही है और बेरोजगार युवाओं जिनके हाथ में पढ़ने क लिए किताबें होनी चाहिए थी उन्हें आंदोलन की राह पर चलने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है और यह दुर्भाग्य की बात है और युवा ही इस राज्य का भविष्य है और आज उनके साथ ही उनके हितों का खिलवाड़ हो रहा है और प्रदेश में सरकारी विभागों में कर्मचारियों की भर्ती आउट सोर्सिंग या उपनल आदि एजेंसियों के माध्यम से हो रही है और इसमें भी वही लोग ही नियुक्त पा जाते है जो एजेंटों के माध्यम से होते है और पहाड़ से शहर में किराये के कमरे लेकर माता पिता की आर्थिक स्थिति अच्छी न होते हुए  दिन रात पढ़ाई करते है वह अभ्यर्थी वंचित रह जाते है और राज्य
में भर्तियां सीधी भर्ती से ही होनी चाहिए, यदि संविदा से पद भरें जाये।
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 वक्ताओं ने कहा कि प्रदेश में आउट सोर्सिंग के कारण सरकारी विभागों में भर्तियां नहीं निकल पा रही है और सारे पद आउट सोर्सिंग से भरे जा रहे है जिससे की उत्तराखंड के युवा बेरोजगार हताश व निराश है जिस कारण आये दिन उन्हें आंदोलन करने पड़ रहे है। वन वभिाग में फाॅरेस्ट गार्ड के 1218 पदों की भर्ती पिछले दो साल से लटकी पड़ी है ओर इसके लिए जहां प्रदेश के लगभग दो लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया और साढे चार कराड़ रूपये शुल्क के रूप में अभ्यर्थियों ने जमा किया लेकिन भर्ती प्रक्रिया आरंभ नहीं हो पा रही है।

see also https://www.uttarakhanduday.com/2019/01/UKD-SUPPORT-BEROJGAR-SANGH.html