पौड़ी,  मुख्यालय में उत्तराखंड संस्कृत अकादमी की ओर से आयोजित नाट्य यात्रा के तहत संस्कृत हास्य नाटक भगवदज्जुकम का मंचन किया गया। नाटक में कलाकारों का अभिनय, संवाद, प्रस्तुति, मंच सज्जा, वेशभूषा का मोहक मेल संस्कृति नगरी में अमिट छाप छोड़ गया है। इस दौरान सभी ने कलाकारों के बेहतर प्रस्तुति पर तालियों से उनका खूब स्वागत किया। अभिनय में शाण्डिल्य व सन्यासी के पात्र का दमदार अभिनय समा बांध गया।
प्रेक्षागृह में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ बतौर मुख्य अतिथि क्षेत्रीय विधायक मुकेश कोली ने किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि संस्कृत हमारी द्वितीय राजभाषा है। इस भाषा के संरक्षण की दिशा में अकादमी लगातार विगत 18 वर्षो से सराहनीय कार्य कर रही है। कोली ने नाट्य मंचन के कलाकारों को पांच हजार रुपए के पुरस्कार राशि की घोषणा की। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ रंगकर्मी गौरीशंकर थपलियाल ने कहा कि संस्कृत देववाणी है। कहा कि हमें इसका संवर्दन व संरक्षण करना होगा। गौरीशंकर थपलियाल व पूर्व सभासद कुसुम चमोली ने कलाकारों को एक-एक हजार रुपये की पुरस्कार राशि भी प्रदान की। नाटक में एक शरारती शिष्य की कहानी हैं। जिसे गुरु वैदिक, पुराण, व्याकरण की शिक्षा देना चाहते हैं। लेकिन उसका शिक्षा में मन ही नहीं लगता है। जब गुरु ध्यान में लीन हो जाते हैं वह बसंत सेना के साथ अटखेलियां करने लगता है। इस बीच अचानक बसंत सेना की एक सहेली के प्राण यमदूत हर लेता है। जिसको देखकर शिष्य विलाप करते हुए गुरु से उसके प्राण लौटाने की हट करता है। गुरु अपनी आध्यात्मिक शक्ति से उसमें अपने प्राण भर देते हैं। जिससे वह उसके गुरु जैसा व्यवहार करने लगती है। इधर यमराज गलती से बसंत सेना के सहेली के प्राण वापस लौटाता है। लेकिन वह गुरु में चले जाते हैं। जिससे गुरु बसंत सेना की सहेली की तरह व्यवहार करने लगते हैं। सब कुछ देखने के बाद यमराज दोनों के प्राणों को यथावत कर देते हैं। जिसके बाद शिष्य शिक्षा ग्रहण करने व लोग खुशी में झूमने लगते हैं। 
   कार्यक्रम का संयोजन संस्कृत शिक्षा के सहायक निदेशक डॉ. बाजश्रवा आर्य व संचालन डॉ. हरीश चंद्र गुरुरानी ने किया। नाटक की रचना कवि बोधायन, निर्देशन डॉ. एमके सुरेश बाबू, सह.निर्देशन डॉ. अजीत पंवार व निपिन पी ने किया। इस अवसर पर अनुसूया प्रसाद सुंदरियाल, डॉ. मदनमोहन नौडियाल, मोनिका आर्य, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत, श्रीमती  जया नौडियाल, दिगंबर नेगी, लक्ष्मण सिह बिष्ट आदि मौजूद थे।