देश में चल रहे लोकसभा चुनाव अब तक के सबसे मंहगे चुनाव बताए जा रहे हैं. पिछले महीने फोर्ब्स पत्रिका ने लिखा कि भारत के चुनाव में लगभग 7 बिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च होने का अनुमान है.अप्रैल माह तक 3,166 करोड़ रुपये के मूल्य की अवैध धनराशि,शराब,मादक पदार्थ पकड़े जा चुके थे. यह 2014 में पकड़े गए 1,200 करोड़ रुपये की धनराशि व अन्य अवैध वस्तुओं के मूल्य के दोगुने से अधिक है. आर्थिक मसलों की वेबसाइट ब्लूमबर्ग क्विंट ने 2016 के इंडिया टूडे के हवाले से लिखा कि डमी उम्मीद्वार खड़े करने में ही 120 मिलियन रुपया खर्च किया जा सकता है. इस तरह देखा जाये तो लोकसभा के चुनाव में पैसे का जबरदस्त बोलबाला हो. पैसा खर्च कौन करेगा-राजनीतिक पार्टियां करेंगी,उनके उम्मीद्वार करेंगे. चुनाव जीतने के कई दांवपेंचों में से पैसा,शराब और ब्लूमबर्ग क्विंट के अनुसार बकरी तक बांटने का चलन है. जब चुनाव में पैसे शराब का ऐसा अंधड़ चल रहा हो तो क्या यह अपेक्षा भी की जा सकती है कि कहीं पर लोग प्रत्याशी से कुछ ले नहीं रहे होंगे बल्कि इसके उलट प्रत्याशी को कुछ दे रहे होंगे ? बेहद ख़र्चीले इस चुनाव में ऐसा होना तो क्या,ऐसा सोचना भी कल्पना लगता है ! लेकिन जब हमें अपने चारों तरफ धनबल,बाहुबल वाले नेताओं की आदत हो गयी,जो चुनाव में जम कर पैसा शराब बांटते हैं,ऐसे समय में भी ऐसे लोग हैं,जिनसे जनता मांगती नहीं,उन्हें देती है. बिहार के सीवान संसदीय क्षेत्र में ऐसा हो रहा है,लोग प्रत्याशी से ले नहीं रहे हैं,बल्कि प्रत्याशी को दे रहे हैं. और दे क्या रहे हैं और कितना दे रहे हैं ? कहीं प्रत्याशी को किसान दही से तौल रहे हैं,तो कहीं व्यापारी गुड़ से तौल रहे हैं,फल विक्रेताओं ने प्रत्याशी को संतरों में तौल दिया ! है न अजब बात ! अब आइये ये भी जान लीजिये कि ये प्रत्याशी कौन हैं,जिनको जनता दही,गुड़,संतरे आदि में तौल रही है.तौले जा रहे प्रत्याशी का नाम है-अमरनाथ यादव. ये बिहार के सीवान संसदीय क्षेत्र से भाकपा(माले) के प्रत्याशी हैं पर सवाल यह है कि किसी प्रत्याशी के प्रति जनता में ऐसा भाव कैसे पैदा होता है कि उसके पास दही है,गुड़ है,संतरा है,जो कुछ है,वह अपने प्रत्याशी को दे देना चाहती है ?यह समझने के लिए कॉमरेड अमरनाथ यादव और उनकी पार्टी भाकपा(माले) के सीवान क्षेत्र में संघर्षों के इतिहास को जानना होगा.अमरनाथ यादव को पहले-पहल देखेंगे तो वे कहीं से आपको नेता नहीं दिखाई देंगे. आधे बाजू का धूसर रंग का कुर्ता,धोती और पैरों में हवाई चप्पल. जीवन में संघर्षों की हर राह पर हवाई चप्पलों में ही अमरनाथ यादव आपको नजर आएंगे. हमारे समयों में नेताओं और जनप्रतिनिधियों को इतने ग्लैमरस अंदाज में देखने के हम आदि हो चुके हैं कि ऐसी साधारण वेषभूषा और रहन-सहन वाले आदमी को हम नेता समझेंगे ही नहीं ! लेकिन तथ्य यह है कि अमरनाथ यादव तीन बार विधायक रह चुके हैं.सीवान में अपराधी सरगना और वहाँ के सांसद रहे शाहबूद्दीन के अपराधी राज के खिलाफ लड़ने और कुर्बानियों का भाकपा(माले) का लंबा इतिहास है. इस लड़ाई में जे.एन.यू छात्र संघ के अध्यक्ष रहे कॉमरेड चंद्रशेखर समेत तमाम नेताओं, कार्यकर्ताओं की शहादतें हुई. अपराध और सामंती दबदबे के खिलाफ इस लड़ाई के अमरनाथ एक अग्रणी योद्धा हैं. एक दौर था जब सीवान में शाहबूद्दीन के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए नामांकन भरना भी मौत को दावत देने जैसा था. शाहबूद्दीन के इस आपराधिक दबदबे को चुनौती भाकपा(माले) और अमरनाथ यादव जैसे उसके कॉमरेडों ने दी. चुनौती दिये जाने से बौखलाए शाहबूद्दीन ने अमरनाथ यादव को जान से मरवाने की कोशिश भी की,लेकिन वे बच गए. सीवान में अमरनाथ यादव और भाकपा(माले) के डटे रहने का ही नतीजा है कि शाहबूद्दीन का आपराधिक वर्चस्व टूटा और वह जेल की सलाखों के पीछे पहुँच गया.आज फिर सीवान पर लोकसभा चुनाव के रास्ते से अपराधी राजनीति की जड़ें जमाने की कोशिश हो रही है तो लाल झण्डा थामे कॉमरेड अमरनाथ यादव संघर्ष के मोर्चे पर मुस्तैद हैं. जनता अपने प्यार और भरोसे का इजहार उन्हें दहि,गुड़,संतरे आदि में तौल कर रही है. तौले जाने के इस क्रम में जनता का स्नेह इतना अधिक है कि जब किसानों ने इनको दही से तौला तो अमरनाथ जी पर दही भारी पड़ गयी.सीवान को ही नहीं पूरे देश को अमरनाथ यादव जैसे जन प्रतिनिधियों की आवश्यकता है,जो पैसे शराब से वोट न खरीदे,बल्कि जनता के सुख-दुख में उनके साथ बना रहे और जब अवसर आए तो जनता भी दही, गुड़, संतरा, प्यार-दुलार,सब उस पर वार दे…………..
-इन्द्रेश मैखुरी