हरिद्वार, पतित पावनी मां गंगा में स्नान करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। उक्त उद्गार श्री दक्षिण काली मंदिर के पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज ने नीलधारा तट स्थित मंदिर के प्रांगण में विदेशी श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। विदेशी नागरिकों को गंगा के महत्व का बोध कराते हुए उन्होंने कहा कि विदेशों में हमारी भारतीय सनातन परम्पराओं को पूजा जाता है। करोड़ों विदेशी भारतीय संस्कृति को अपनाकर भारत में आकर रहना चाहते हैं, और यहां संत महापुरूषों के चरणों में उनका आशीर्वाद लेकर अपना जीवन सफल बनाना चाहते हैं। क्योंकि विदेशों में भारतीय संस्कृति का परचम फहराने में संत महापुरूषों की अहम भूमिका है। हमारी भारतीय संस्कृति से प्रसन्न होकर ही तमाम विदेशी भारत आते हैं। और संत महापुरूषों की शरण में रहकर यहां के धार्मिक आयोजनों में भाग लेकर विधि विधान के साथ पूजा करके साधनाओं में लीन होकर हमारी भारतीय संस्कृति को जानना चाहते हैं।

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     विदेशी श्रद्धालु भक्त अपने देशों में जाकर हमारी भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रसार करके भारत का गौरव बढ़ाते हैं। विदेश से आए स्वामी व्यासानंद ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि मां गंगा के तट पर आकर मुझे ऐसा लगता है कि जैसे मैंने साक्षात ईश्वर की प्राप्ति कर ली हो, और मां गंगा के जल का आचमन करके और मां गंगा में स्नान करके मेरा जीवन धन्य हो गया है। मैं चाहता हूं कि मेरा सम्पूर्ण जीवन मां गंगा के चरणों में व्यतीत हो और संत महापुरूषों की मुझ पर असीम कृपा बरसती रहे। क्योंकि संत ही भगवान शिव का दूसरा स्वरूप कहलाते हैं।
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 स्वामी व्यासानंद महाराज ने कहा कि परम पूज्नीय गुरूदेव स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज ने मुझे सदा सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी है और संत महापुरूषों की सेवा करने में मुझे बड़े आनन्द की अनूभूति होती है। क्योंकि संतों का सानिध्य गंगा के तट पर बड़े ही सौभाग्यशाली व्यक्ति को प्राप्त होता है। सैकड़ों विदेशी श्रद्धालुओं ने गंगा के तट पर मां गंगा में स्नान करके विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की और मां काली के मंदिर में पूजा पाठ करके मां काली के दर्शन करके अपने जीवन को सफल बनाया और स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज का आशीर्वाद लेकर सभी श्रद्धालु भक्तों ने मां काली व गंगे मैया के जयकारे लगाए।
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 इस अवसर पर स्वामी सत्यव्रतानंद, श्रीमहंत साधनानंद, स्वामी वासुदेव, स्वामी शिवानंद, आचार्य स्वामी संजीव महाराज, मां के सेवक अंकुश शुक्ला, बालमुक्तानंद ब्रह्मचारी, पंडित शिवकुमार शर्मा, अनुराग वाजपेयी, डा.पूजा मगन आदि भी मौजूद रहे।