देहरादून, कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट ने कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार ने जिस तरह बिना सोचे समझे किसी ठोस तैयारी के देश में नोटबन्दी और जीएसटी लागू करके देश की अर्थव्यवस्था को तहस-नहस करने का काम किया, लगभग उसी तरह से उत्तराखण्ड की त्रिवेन्द्र सरकार ने पहले इन्वेस्टर मीट का आयोजन करके उत्तराखण्ड की जनता की गाड़ी कमाई की 60 करोड़ रूपये इस मीट के आयोजन में खर्च करते हुए 1 लाख 20 हजार करोड़ के निवेश का दावा किया था। लेकिन छः माह बीत जाने के बाद भी अभी तक एक भी निवेशक ने राज्य में धरातल पर निवेश करने में रूचि नही दिखाई है।
अब राज्य सरकार कह रही है कि जो भी व्यक्ति राज्य में निवेेश करना चाहता है वह व्यक्तिगत सहमति के आधार पर निवेश नहीं कर सकता है बल्कि अब निवेशकों को टेन्डर प्रक्रिया के माध्यम से निवेश की प्रक्रिया में शामिल होना पड़ेगा जिसका मंन्तव्य साफ है कि चकाचैंध पूर्ण तरीके से आयोजित की गई इन्वेस्टर मीट में जो 1 लाख 20 हजार करोड़ के अनुबन्ध हस्ताक्षरित किये गये थे वह अब नोटबंदी के दौरान के 500 और 1000 के नोट की तरह रद्दी हो गये है। राज्य सरकार द्वारा नये साल पर भारी महिमामण्डल के साथ लागू की गई अटल आयुष्मान योजना जिसमें राज्य सरकार के दावे के अनुसार राज्य का हर परिवार एक वर्ष में 5 लाख तक मुफत ईलाज की सुविधा पाने का हकदार होगा पहली नजर में देखने सुनने पर एक चमत्कार जैसा प्रतीत होती है। लेकिन सरकार के कामकाज पर नजर डालने के साथःसाथ सरकार की वित्तीय स्थित को देखते हुए लगता नहीं है कि राज्य की कुल पात्र परिवारों के 10 प्रतिशत लोग भी इस योजना का लाभ ले सकेंगे। सरकार की कार्य क्षमता का आकंलन राज्य में चल रही 108 सेवा, खुशियों की सवारी के संचालन जिसमें वार्षिक 22 करोड़ रूपये का खर्च आता है में अक्षमता से स्पष्ट हो जाती है इसके अलावा अप्रैल 2018 में 108 सेवा हेतु खरीदी गई 61 अम्बुलेंस जिनमें राज्य सरकार बजट के अभाव में अनदुरूनी उपकरण नही लगा पाने के कारण विगत 9 माह से संचालित नही कर पा रही है व सरकार अटल आयुष्मान योजना जिसका अनुमानित वर्ष खर्च 1500 से 1800 करोड़ रूप्ये होगा के लिए संसाधन कहां से जुटायेंगी यह अपने आप में एक यक्ष प्रश्न है।
यह भी पढ़ें https://www.uttarakhanduday.com/2019/01/aaryan-group-attack-on-RTO-office-dehradun.html
इसके अलावा राज्य सरकार द्वारा जिन प्रावेट अस्पतालों को इस योजना के अन्तर्गत लोगों को ईलाज करने हेतु अनुबंधित किया गया है उनमें से अधिकांश अस्पताल योजना के शुरूवाती चरण में भी मरीजों को अनेकानेक बहाने बनाकर योजना के लाभ से वंचित कर रहे है। राज्य सरकार यशलाभ लेने के बजाय योजना को ठीक ढंग से लागू करने के साथ-साथ सबंधित अस्पतालों के साथ स्पष्ट अनुबंध करते हुए योजना के लिए पर्याप्त धन की व्यवस्था करें।
यह भी देखें https://www.uttarakhanduday.com/2019/01/PROTEST-OF-ONGC-CONTRACT-UNION.html
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