हर गढ़वाली की तरह मैं भी बचपन से ही अड़सा खाता रहा हूँ। वैसे तो मैं अधिकांश गढ़वाल में ही रहा हूँ, मगर फिर भी साल दो साल में एकाध बार अड़से खाने का मौका लग ही जाता था। मेरी सोच थी कि ये दुनिया की सर्वश्रेष्ठ मीठी चीज है . बचपन गया, स्कूल से कॉलेज पहुंचा। खोजी स्वभाव था, अक्सर सोचता कि अड़सा गढ़वाल में कहाँ से आया। गढ़वाल के पूर्व में हिमाचल हो या पश्चिम में कुमाऊं, उत्तर में तिब्बत हो या दक्षिण में यूपी, अड़सा कहीं नहीं है। फिर ये गढ़वाल में कहाँ से आया ?
पंजाब, राज्यस्थान मध्य प्रदेश जाना हुआ पर अरसे का कोई सुराग नहीं मिला। आखिर काम के सिलसिले में मुम्बई जाना पड़ा। मुम्बई से 500 किलोमीटर दूर मराठवाड़ा के एक कस्बे नांदेड़ में अपने एक मराठी डॉक्टर मित्र के घर जाना हुआ। दीवाली का सीजन था । घर में पकवान बने थे। उन्ही में से एक पूरी जैसी मीठी चीज को खाते हुए अचानक चौंक पड़ा। जाना पहचाना स्वाद मालूम हुआ, याद आया ये तो अड़से जैसा है। स्वाद लगभग 70 प्रतिशत अड़से की तरह था। आकार में अड़से की तरह नहीं बल्कि पतली पूरी की तरह था। मगर स्वाद अड़से जैसा। मैंने मित्र से पूछा कि ये क्या है, क्या नाम है इस पकवान का? मित्र ने बताया- अनारसा। सुनकर मैं स्तब्ध रह गया, स्वाद और नाम में समानता का मतलब इसका अड़से से जरूर कोई सम्बन्ध है। एक बार बेंगलोर के पास के एक गांव में मैंने लोगों को पूछा तो उनमें से एक ने मुझे अपने घर ले जाकर एक पकवान दिखाया और खिलाया। खाते ही आंखें खुली की खुली रह गई, ये बिल्कुल हूबहू अड़सा था। देखने में भी और खाने में भी। बाद में मुझे महसूस हुआ कि सब कुछ समान होने के बाद भी स्वाद में एक छोटा सा फर्क जरूर है। काफी सोचने के बाद समझ मे आया कि ये फर्क गुड़ का है। गढ़वाल में गन्ने का गुड़ इस्तेमाल होता है और कर्नाटक में खजूर का गुड़ इस्तेमाल होता है। बस यही थोड़ा सा फर्क था स्वाद में । पता लगा वहां इसे कहते हैं -अरसालु । चलो में खुश था, मेरी खीज पूरी हुई, पर सवाल था कि ये अरसा कर्नाटक से गढ़वाल कैसे पहुंचा। तो पता लगा कि आदि शंकराचार्य ने बद्रीनाथ और केदारनाथ में दक्षिण से कर्नाटक के पुजारियों को नियुक्त किया था। और नवीं सदी में ये ब्राह्मण अपने साथ अड़से बनाने की परंपरा भी शुरू कर गए। और कालांतर में ये परम्परा गढ़वाल के आम जन में भी शुरू हो गई। तो 20 सालों की खोज के बाद मैं अड़से की जड़ तक पहुंचा। बाद में पता लगा कि अड़सा तमिलनाडु, केरल, आंध्र, उड़ीसा और बंगाल में भी पाया जाता है। कहीं इसे अरसालु कहते हैं और कहीं अनारसा। तो कैसी लगी अड़से की कहानी।
अगर आप चाहते हैं कि अड़से की कहानी सभी उत्तराखंडी लोगों को बता चले तो कृपया इसे शेयर करें….
https://jansamvadonline.com/talk_of_hill/gharwali-bhsha-aandolan/
#कहानी_अड़से_की