बिना अनुबंध के चल रही निगम की चार दुकानें
ऋषिकेश, नगर निगम की आय को बढ़ाने के लिए अधिकारी कितने संजीदा हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि संयुक्त यातायात बस अड्डे में चार दुकानें बिना अनुबंध की चल रही हैं। यही हाल ऋषिकेश प्रेस क्लब का है। यह भी निगम अफसरों के मनमाने रवैये पर चल रहा है। प्रेस क्लब का कार्यालय बस अड्डा स्थित निगम की बिल्डिंग में बिना किसी अनुबंध के संचालित हो रहा है। इसके लिए न तो कभी अनुबंध कराया गया न ही कोई किराया वसूल हो सका।
वर्ष 2015 में बस अड्डा स्थित निगम की चार दुकानों को आवंटित करने की प्रक्रिया शुरू हुई थी। इसी के तहत प्रति दुकान 20 लाख रुपये के हिसाब से चार संपत्तियों को आवंटित की जानी थीं। दुकान नंबर 10, 16, 19, 20 को आवंटित करने की शुरुआती औपचारिकता शुरू हुई। इसी के तहत एक महिला के नाम तीन दुकानें दी गईं जबकि एक व्यक्ति के नाम मौखिक रूप से एक दुकान सौंप दी गई। दिलचस्प यह है कि प्रति दुकान के हिसाब से 10-10 लाख रुपये पालिका प्रबंधन के खाते में जमा करा दिए गए। बाकी की राशि न तो जमा की गई न ही अनुबंध हो पाया। ये सिलसिला पिछले तीन सालों से चला आ रहा है। इस पर न तो निगम अफसरों ने कोई सकारात्मक कदम उठाया न ही तथाकथित आवंटियों ने अनुबंध करने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया। पालिका प्रबंधन के दौरान संपत्तियां रिश्तों में मुफ्त बांटी गईं। प्रेस क्लब का कार्यालय बस अड्डा स्थित निगम के जिस बिल्डिंग से संचालित हो रहा है उसकी एक पाई भी शुल्क के रूप में पिछले तीन साल से अदा नहीं की गई है। पूर्व सीएम हरीश रावत की संस्तुति पर तत्कालीन नगर पालिका प्रबंधन ने उक्त कार्यालय प्रेस क्लब को दिया था। पूर्व सीएम ने ही प्रेस क्लब के इस कार्यालय का उद्घाटन भी किया। प्रेस क्लब के इस कार्यालय का अनुबंध तो दूर किराया तक जमा नहीं कराया गया। शासन ने जरूर संस्तुति की थी कि सर्किल रेट के हिसाब से किराये पर क्लब को कार्यालय आवंटित कर दिया जाए।
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स्वच्छता के प्रति जागरूक कर रहा नगर निगम
ऋषिकेश, शहर में अस्त-व्यस्त कूड़ेदान और जगह-जगह कूड़े के ढेर किसी भी शहर की तस्वीर को बिगाड़ के रख देते हैं। आमतौर पर हर शहर में कूड़ेदान की यही तस्वीर दिमाग में आती है। लेकिन ऋषिकेश के नगर निगम के कर्मचारी ने कुड़ेदान के पास रंगोली बनाकर इस दूसरे शहरों से अलग कर दिया है। कहते हैं जब सोच अच्छी हो तो तस्वीर भी बदलने लगती है। कुछ ऐसा ही हाल है ऋषिकेश नगर निगम का जहां के एक कर्मचारी ने कूड़ा घरों की तस्वीरों को नया रूप देना शुरू कर दिया है। जिन कूडा घरों के आसपास से निकलते हुए लोग नाक और भौं सिकोड़ते थे। आज वहीं रंगोली के रंग उनको अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। ऋषिकेश नगर निगम के सफाई इंस्पेक्टर सचिन रावत ने कूड़ादानों को रंगोली से जोड़कर बिल्कुल नया रूप दे दिया है। सब से अपील की जा रही है कि कूड़ा कूड़ेदान में ही डालें ना कि कूड़ेदान के आगे पीछे। ऋषिकेश की बंगाली बस्ती के बच्चों ने भी सचिन रावत का साथ देते हुए कूड़ा घरों की तस्वीरों को बदलने का अभियान शुरू कर दिया है। उनकी यह कोशिश रंग भी लाने लगी है, बच्चे भी इससे काफी उत्साहित हैं।
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