वर्ष मकर संक्रांति अथवा खिचड़ी का प्रसिद्ध पर्व 15 जनवरी 2019 दिन मंगलवार को है। इस दिन खिचड़ी का महान पर्व अपनी-अपनी परम्पराओं के अनुसार मनाया जाएगा। गंगोत्री से लेकर गंगा सागर तक सर्वत्र गंगा स्नान अन्यत्र नदी, तालाब, सरोवर में स्नान करने एवं विधिवत दान आदि करने का पुण्य फल दायक विधान है। 15 जनवरी 2019 की रात 2:19 बजे के बाद से ही सूर्य देव उत्तरापथगामी हो जाएंगे।
खिचड़ी खाने-खिलाने एवं दान देने की पुण्य दायक होता है। इसी दिन प्रयागराज में कुम्भ के महान पर्व के अवसर पर साधु संतों महात्मावो को शाही स्नान अश्विनी एवं भरणी नक्षत्र, साध्य-योग, अमृत योगा के साथ-साथ गुरु-मंगल के राशि परिवर्तन राजयोग में सम्पन्न होगा। जहां कुम्भ पर्व के अवसर पर पवित्र संगम पर अमृत की वर्षा स्वतः होती है, एवं उसमे भी भौमश्विनी सहित सर्वार्थसिद्धि जैसे योग मिल जाये तो निश्चित तौर पर उसका महात्म्य एवं पुण्य अनन्त गुना बढ़ जाता है। वैसा ही योग इस बार मकर संक्रांति को बनने जा रही है। ब्रह्ममुहूर्त में ही प्रारम्भ हो जाएगा स्नान दान ।
खिचड़ी खाने-खिलाने एवं दान देने की पुण्य दायक होता है। इसी दिन प्रयागराज में कुम्भ के महान पर्व के अवसर पर साधु संतों महात्मावो को शाही स्नान अश्विनी एवं भरणी नक्षत्र, साध्य-योग, अमृत योगा के साथ-साथ गुरु-मंगल के राशि परिवर्तन राजयोग में सम्पन्न होगा। जहां कुम्भ पर्व के अवसर पर पवित्र संगम पर अमृत की वर्षा स्वतः होती है, एवं उसमे भी भौमश्विनी सहित सर्वार्थसिद्धि जैसे योग मिल जाये तो निश्चित तौर पर उसका महात्म्य एवं पुण्य अनन्त गुना बढ़ जाता है। वैसा ही योग इस बार मकर संक्रांति को बनने जा रही है। ब्रह्ममुहूर्त में ही प्रारम्भ हो जाएगा स्नान दान ।
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पौष पूर्णिमा 21 जनवरी 2019 दिन सोमवार
वैसे तो पूर्णिमा का मान 20 जनवरी को ही दिन में 1 बजकर 25 मिनट से लग जाएगी जो 21 जनवरी को दिन में 11:15 बजे तक व्याप्त होगी उदया तिथि के कारण 21 को होगा मुख्य स्नान।
सूर्योदय पूर्व ब्रह्म मुहूर्त्त से ही प्रारम्भ हो जाएगा पौष पूर्णिमा का पावन स्नान। क्योंकि पूर्णिमा तिथि सम्पूर्ण रात व्याप्त रहते हुए दिन में 11:15 बजे तक व्याप्त रहेगी। ऐसे में ब्रह्ममुहूर्त से ही अमृत वर्षा प्रारम्भ हो जाएगी। इस बार एक अनोख योग करेगा अक्षय योग की प्राप्ति क्योकि चंद्रमा से मंगल एवं गुरु, शुक्र पंचमस्थ एवं नवमस्थ हो रहे है। साथ ही चंद्र ,मंगल ,गुरु -शुक्र भी एक दूसरे से पंचम-नवम का संबंध बना रहे है। जो सर्वथा पूण्य दायक हैं।
वैसे तो पूर्णिमा का मान 20 जनवरी को ही दिन में 1 बजकर 25 मिनट से लग जाएगी जो 21 जनवरी को दिन में 11:15 बजे तक व्याप्त होगी उदया तिथि के कारण 21 को होगा मुख्य स्नान।
सूर्योदय पूर्व ब्रह्म मुहूर्त्त से ही प्रारम्भ हो जाएगा पौष पूर्णिमा का पावन स्नान। क्योंकि पूर्णिमा तिथि सम्पूर्ण रात व्याप्त रहते हुए दिन में 11:15 बजे तक व्याप्त रहेगी। ऐसे में ब्रह्ममुहूर्त से ही अमृत वर्षा प्रारम्भ हो जाएगी। इस बार एक अनोख योग करेगा अक्षय योग की प्राप्ति क्योकि चंद्रमा से मंगल एवं गुरु, शुक्र पंचमस्थ एवं नवमस्थ हो रहे है। साथ ही चंद्र ,मंगल ,गुरु -शुक्र भी एक दूसरे से पंचम-नवम का संबंध बना रहे है। जो सर्वथा पूण्य दायक हैं।