शहीद भगतसिंह की जयंती पर उत्तराखंड इंसानियत मंच की ओर से ‘रंग दे बसंती’ कार्यक्रम का आयोजन
देहरादून, 28 सितम्बर: अक्सर लोग कहते हैं कि देश में भगतसिंह पैदा होने चाहिए, लेकिन मेरे नहीं दूसरे के घर में। आज इसे पूरी तरह बदलने की जरूरत है। जिस तरह से समाज में नफरत फैलाई जा रही है, जिस तरह से समाज को बांटने का प्रयास हो रहा है, उससे तभी निपटा जा सकता है, जब हर घर में भगतसिंह पैदा हों। यह बात शहीद भगत सिंह का भानजे और पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में कम्प्यूटर साइंस विभाग के पूर्व हेड प्रो. जगमोहन सिंह ने कही। वे शहीद भगतसिंह की 117वीं जयंती पर उत्तराखंड इंसानियत मंच और अन्य संगठनों द्वारा आयोजित कार्यक्रम ‘रंग दे बसन्ती’ में बोल रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन नगर निगम सभागार में किया गया था।
प्रो. जगमोहन ने इस मौके पर शहीद भगतसिंह के पारिवारिक और क्रान्तिकारी जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने भगतसिंह के बारे में पूछे गये सवालों का जवाब भी दिया। देहरादून में हुई साम्प्रदायिक घटना के बारे में उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है, जो कुछ हुआ वह साजिशन था, वरना रात के 11 बजे किसी को कैसे पता चला कि कोई लड़का किसी लड़की से मिलने आ रहा है। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाओं से निपटने का एक ही उपाय है कि हम शहीद भगतसिंह के साम्प्रदायिक एकता के विचार का अनुशरण करें। उन्होंने कहा कि भगतसिंह के पैदा होने से घर परिवार कितना मजबूत होता है, ये बात वे अच्छी तरह जानते हैं, इसलिए भगतसिंह हर परिवार में पैदा होना चाहिए, न कि सिर्फ दूसरों के घर में।
महात्मा गांधी और शहीद भगत सिंह के रिश्तों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि वैचारिक भिन्नता के बावजूद दोनों एक-दूसरे का सम्मान कहते थे। भगतसिंह ने कहा था कि हम क्रांतिकारियों को महात्मा गांधी को सेल्यूट करना चाहिए कि वे अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में आम लोगों को सड़कों पर ले आये। जबकि महात्मा गांधी ने कई बार भगतसिंह और उनके क्रांतिकारी साथियों के बारे में लिखा और उन्हें फांसी की सजा दिये जाने के खिलाफ पत्र भी लिखे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राज्य आंदोलनकारी कमला पंत ने कहा कि उत्तराखंड जिस तरह से साम्प्रदायिकता की प्रयोगशाला बनाया जा रहा है, उससे निपटने के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है और ऐसा सिर्फ भगतसिंह की रास्ते पर चलकर ही संभव है। उन्होंने देहरादून और उत्तराखंड में भाईचारा को बिगाड़ने का प्रयास करने वालों के खिलाफ एकजुट होने की बात भी कही। भारत ज्ञान विज्ञान समिति के विजय भट्ट ने शहीद भगतसिंह के वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर अपनी बात रखी। उन्होंने भगतसिंह के लेखों में पृथ्वी की उत्पत्ति और चार्ल्स डारविन के उत्पत्ति के सिद्धान्त का उल्लेख होने की चर्चा की। मैड संस्था की वंदना और उत्तराखंड महिला मंच की चन्द्रकला ने भी शहीद भगतसिंह के जीवन के विभिन्न पहलुओं और उनकी वैचारिक परिपक्वता के बारे में अपनी बात रखी। डॉ. रवि चोपड़ा ने प्रो. जगमोहन की परिचय दिया, जबकि परमजीत सिंह कक्कड़ ने उत्तराखंड इंसानियत मंच के कार्यों के बारे में बताया। सतीश धौलाखंड और उनकी टीम ने जनगीत से कार्यक्रम की शुरुआत की। कार्यक्रम की समाप्ति पर एसएफआई के छात्रों ने ‘ऐ भगतसिंह तू जिन्दा है’, गीत प्रस्तुत किया। त्रिलोचन भट्ट में कार्यक्रम में शामिल सभी लोगों का आभार व्यक्त किया।
इस कार्यक्रम में उत्तराखंड महिला मंच, एसएफआई, मैड, सर्वोदय मंडल उत्तराखंड, किसान सभा, भारत ज्ञान विज्ञान समिति आदि संस्थाओं ने भी सहयोग किया। कार्यक्रम में गढ़वाल सभा, उपनल कर्मचारी संघ, श्रमयोग, स्पेक्स, एनएपीएसआर आदि संगठनों के साथ ही कांग्रेस, सीपीआई, सीपीएम, सीपीआई एमएल, यूकेडी आदि राजनीतिक दलों के लोग भी शामिल हुए। कार्यक्रम का संचालन एसएफआई के हिमांशु चौहान ने किया।