उत्तराखंड में लोकायुक्त के नियुक्ति को 3 माह की डेडलाइन तय

प्रदेश की पिछली भाजपा सरकार ने वर्ष 2017 में शपथ ग्रहण के बाद भ्रष्टाचार पर जीरो टोलरेंस नीति अपनाने का दावा किया था जो बाद में हवा-हवाई निकला। पहले कहा गया कि सरकारी विभागों के भ्रष्ट व नाकारा कार्मिकों को बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। इसके लिए बाकायदा शासनादेश भी जारी हुआ। विभागाध्यक्षों से कहा गया कि 50 साल से अधिक उम्र के भ्रष्ट व नाकारा कार्मिकों की सूची तैयार कर शासन को सौंपी जाए। जिन पर गंभीर आरोप होंगे और इतिहास भी ठीक नहीं होगा, उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाएगी। सरकार का आदेश मिलते ही विभागों में कार्मिकों के नाम की सूची बननी शुरू हुई। उसके बाद ऐसे कर्मचारियों ने अपने राजनीतिक आकाओं की शरण ली और प्रक्रिया थम गई। शासन ने विभागों को रिमाइंडर भी भेजे लेकिन उन्होंने कोई तवज्जो ही नहीं दी। अब नैनीताल हाईकोर्ट की ओर से राज्य सरकार को दिए गए निर्देश के बाद धामी सरकार के साथ ही भ्रष्ट व नकारा कर्मचारियों के दिलों की धड़कन बढऩे लगी है।


देहरादून, 27 अगस्त : उत्तराखंड में लोकायुक्त के नियुक्ति का मामला सुर्खियों में आ गया है। साल 2013 से ही लोकायुक्त का पद खाली चल रही है। ऐसे में लगातार सवाल उठ रहा था कि आखिर कब लोकायुक्त की नियुक्ति होगी? भले ही लोकायुक्त की नियुक्त न हो, इसके बावजूद कार्यालय पर होने वाला खर्च बढ़ता ही जा रहा है। जिस पर नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। हाईकोर्ट ने सख्त लहजे में उत्तराखंड सरकार को 3 महीने के भीतर लोकायुक्त नियुक्त करने के आदेश दिए हैं। जिससे सूबे में सियासत गरमा गई है।
दरअसल, नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में याचिका पर सुनवाई कर उत्तराखंड में लोकायुक्त नियुक्त करने के आदेश दिए। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से अगले 6 महीने के लिए मांगे गए समय की मांग को भी खारिज कर दिया। इतना ही नहीं इस बात के भी निर्देश दिए गए हैं कि जब तक लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं हो जाती है, तब तक कार्यालय के किसी भी कर्मचारी को वेतन भुगतान ना दिया जाए।
नैनीताल हाईकोर्ट की ओर से राज्य सरकार को दिए गए निर्देश के बाद बीजेपी सरकार की चिंताएं बढ़ गई हैं तो वहीं विपक्षी दल कांग्रेस को उम्मीद जगी है कि अब राज्य सरकार को हाईकोर्ट के आदेशों का पालन करना होगा। लिहाजा, तय डेडलाइन के भीतर लोकायुक्त की नियुक्ति हो जाएगी। इसके साथ ही सियासत भी गरमा गई है।

क्या बोली कांग्रेस ?
लोकायुक्त नियुक्त करने के तीन महीने की डेडलाइन पर कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष मथुरा दत्त जोशी का कहना है कि ये सरकार सदन में घोषणा करने के बावजूद लोकायुक्त नहीं बना पाई, लेकिन अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद आस जगी है कि जल्द से जल्द लोकायुक्त की नियुक्ति होगी।

बीजेपी का जवाब
वहीं, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि लोकायुक्त नियुक्ति को लेकर विधानसभा में चर्चा हुई थी, लेकिन इसका ढांचा बनाने में कुछ दिक्कतें हो रही थी। जिसके चलते हाईकोर्ट से समय मांगा था, लेकिन अब कोर्ट का निर्णय आ गया है तो उसका पालन करना सरकार का नैतिक कर्तव्य होता है।
बता दें कि साल 2002 में पहली निर्वाचित सरकार में ही लोकायुक्त का गठन किया गया था। उस दौरान जस्टिस एच एस ए रजा को लोकायुक्त नियुक्त किया गया था। फिर साल 2008 में जस्टिस एमएम घिल्डियाल को लोकायुक्त बनाया गया, लेकिन साल 2013 के बाद से प्रदेश में लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं हुई।
जिसके चलते हल्द्वानी निवासी रवि शंकर जोशी ने लोकायुक्त के नियुक्ति को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हालांकि, इस मामले पर कई बार हाईकोर्ट में सुनवाई हो चुकी है तो वहीं अब नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए 3 महीने के भीतर लोकायुक्त नियुक्त करने के निर्देश दिए हैं।

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