देहरादून, 5 अगस्त: 71 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड में पहाड़ से लेकर मैदान तक शायद ही कोई इलाका ऐसा होगा, जहां वन्यजीवों ने आमजन की मुश्किलें न बढ़ाई हों। विभागीय आंकड़े इसकी तस्दीक करते हैं।
वर्ष 2012-13 से अब तक के वक्फे में 326 लोगों को जंगली जानवरों के हमलों में जान गंवानी पड़ी, जबकि घायलों की संख्या 1300 से अधिक है। यही नहीं, वन्यजीवों ने इस अवधि में 31 हजार मवेशियों को निवाला बनाया और 2000 हेक्टेयर क्षेत्र में फसलें चौपट कर डालीं। अब तक 51 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति दी जा चुकी है और अभी भी काफी संख्या में मुआवजे के प्रकरण लंबित हैं।
बीते शुक्रवार को राज्य वन्य जीव बोर्ड की बैठक में वन्यजीवों के हमले में किसी व्यक्ति की मृत्यु पर राहत राशि चार लाख से बढ़ाकर छह लाख रुपये करने के प्रस्ताव का रचनात्मक महिला मंच ने स्वागत किया है।
मंच की अध्यक्षा निर्मला देवी ने कहा कि यद्यपि हमारी माँग मुआवज़ा राशि बढ़ाकर 25 लाख रुपये करने की है पर सरकार कुछ क़दम आगे बढी है इसका स्वागत किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें विश्वास है कि सरकार शीघ्र ही इस प्रस्ताव को कैबिनेट में लायेगी।
मंच की सचिव सुनीता देवी ने कहा कि सरकार कुछ क़दम आगे बढ़ी है, परन्तु हमारा आन्दोलन अपनी सभी माँगो को पाने तक जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि अपनी माँगो के समर्थन में आजकल मंच राज्यभर में हस्ताक्षर अभियान चला रहा है।
ज्ञातव्य है कि सल्ट विकास खंड में महिलाओं का संगठन रचनात्मक महिला मंच विगत 4 माह से मानव वन्य जीव संघर्ष में किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर मुआवज़े की राशि को बढ़ाकर 25 लाख रुपये करने की माँग कर रहा है। उसकी यह भी माँग है कि जंगली जानवर से खेती को होने वाले नुक़सान की मुआवज़ा राशि, बड़े और मानव वन्य जीव संघर्ष में घायल होने वाले व्यक्ति के इलाज का पूरा ख़र्च सरकार वहन करे।