देहरादून, पिछले एक महीने में भाजपा के कई बड़े नेताओं के खिलाफ बड़ी कार्रवाई हुई हैं जो विपक्ष को सत्ता में बैठी पार्टी की घेराबंदी का पूरा मौका देती हैं। लेकिन प्रदेश की विपक्षी पार्टी कांग्रेस तो जैसे स्लीपिंग मोड़ में है।
नोटबंदी के बाद भाजपा नेता अनिल गोयल के पास बड़ी मात्रा में काला धन मिला, भाजपा के महानगर अध्यक्ष विनय गोयल का एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें वह दलितों के खिलाफ अपशब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं और मीटू में फंसे भाजपा के संगठन महामंत्री संजय कुमार पर मुकदमा दर्ज हो गया।
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इसके अलावा रामनगर में एक किसान ने कर्ज की वजह से आत्महत्या कर ली और बीजेपी सरकार आने के किसानों की आत्महत्या की संख्या दहाई में पहुंच गई। इतना कुछ हुआ लेकिन विपक्ष खामोश  है। बीते हफ्ते भर कांग्रेस के सभी बड़े नेता दिल्ली में अपनी उलझनें सुलझाने में लगे रहे। जो उत्तराखण्ड में थे भी वह पार्टी लाइन से अलग कार्यक्रम कर रहे थे। न सड़कों पर कांग्रेस दिखाई दे रही है और न ही मीडिया की सुर्खियों में नजर आ रही है। ऐसा लग रहा है पार्टी अपनी प्रतिद्वंद्वी भाजपा से कोई आघोषित याराना निभा रही हो। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत लोकसभा चुनावों से पहले पार्टी एकता की बातों को यह कहकर हवा में उड़ा देते हैं कि संगठन का काम। प्रदेश अध्यक्ष ही जानें।
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लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस को केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ मुद्दों को धार देनी चाहिए थी लेकिन वह अपने ही झगड़े नहीं सुलटा पा रही है। जाहिराना तौर पर इसका फायदा बीजेपी को मिल रहा है।