देहरादून, 16 मार्च यूं तो स्मार्ट सिटी योजना के अंतर्गत राजधानी दून में किए जा रहे अनियोजित विकास कार्यों के कारण pur पूरी राजधानी की सड़कों की स्थिति अत्यंत ही खराब करके रख दी है लेकिन ईसी रोड की जो दुर्दशा हुई वैसी शायद इससे पहले कभी नहीं हुई है। इसके अलावा हरिद्वार बाईपास व अन्य प्रमुख सड़कों का भी यही हाल है।
सालों से राज्य के इस प्रमुख मार्ग पर स्मार्ट सिटी योजना के तहत होने वाले काम जारी हैं। कभी सीवर लाइन बिछाने के लिए इस सड़क की एक साइड को खोद दिया जाता है तो फिर कभी पेयजल पाइप लाइन डालने के लिए दूसरी साइड को खोद दिया जाता है।
यही नहीं अब ईसी रोड जगमग करने के लिए लगाए जाने वाले लाइट के पोल लगाने के लिए खोदने और खंभे खड़े करने का काम चल रहा है। खास बात यह है कि किसी भी काम को एक बार में पूरा नहीं किया जा रहा है। आवासीय भवनों को सीवर व पेयजल लाइनों से जोड़ने का काम उस समय नहीं किया गया जब यह लाइनें डाली गई। इन्हें जोड़ने के लिए अब हर 10-20 मीटर के बाद रोड को खोदा गया और अजब गजब बात यह है कि इसे खोद कर तुरंत भरने का काम भी नहीं किया गया। वाहनों की आवाजाही के कारण जब यह खड्डे खतरनाक स्थिति में पहुंच गए और क्षेत्र में धूल के गुबार ने सांसे रोक दी तथा जाम के हालात पैदा हो गए तब कहीं जाकर इन्हें भरने की खानापूर्ति की गई। वह भी ऐसी की पूरी सड़क ही उबड़-खाबड़ होकर रह गई।
अभी भी इस सड़क की हालत इतनी खराब है कि इस पर वाहन उछलते कूदते हुए ही चल पा रहे हैं। इस रोड से अगर किसी प्रसूता को गुजरना पड़े तो अस्पताल पहुंचने से पहले ही बच्चे का जन्म हो जाए। खास बात यह है कि इस सड़क से राज्यपाल से लेकर सीएम और डीएम व कमिश्नर तक सभी बड़े अधिकारी और नेता दिन में कई-कई बार गुजरते हैं लेकिन फिर भी उनका ध्यान इस पर कभी नहीं जाता। हालांकि राज्य गठन से पूर्व भी ईसी रोड को अपनी स्वच्छता और सौंदर्य के लिए बेहतरीन रोड और आबो-हवा के लिए जाना जाता था। लेकिन राज्य की पहली निर्वाचित एनडी तिवारी सरकार के कार्यकाल में जो इसका सुदृढ़ीकरण हुआ था उसे देखकर लोग उनकी सरकार की तारीफ करते नहीं थकते थे। लेकिन आज उसी ईसी रोड से लोगों को अगर आना जाना हो तो वह इस पर जाने के लिए दूसरे वैकल्पिक रास्ते ढूंढते नजर आते हैं।
अहम सवाल यह है कि ईसी रोड की यह दुर्दशा अभी कितने साल और रहेगी तथा स्मार्ट सिटी के काम आखिर कब पूरे होंगे ?