डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला ( दून विश्वविद्यालय )

उत्तराखंड प्राकृतिक संपदा और जैव विविधता के साथ ही यहां मिलने वाली जड़ी-बूटियों के लिए भी प्रसिद्ध है। देवभूमि में मिलने वाली जड़ी-बूटियों में जीवनदायिनी शक्ति है। पहाड़ के ग्रामीण इलाकों में आज भी इन जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल कई बीमारियों के इलाज में किया जाता है। इन्हीं जड़ी-बूटियों में से एक है पहाड़ में मिलने वाला जंगली फल गीठीं। सर्दियों में पहाड़ की गडेरी और गेठी की बढ़ी डिमांड, डायबिटीज में हैं फायदेमंद ।

सर्दी के मौसम में पहाड़ों पर इन दिनों गडेरी और गेठी तैयार हो चुकी है. किसानों की मानें तो पहाड़ पर उत्पादित होने वाली इन सब्जियों की डिमांड मंडियों में खूब है. किसान सरकार से गेठी उत्पादन में प्रोत्साहन देने की मांग कर रहे हैं. गीठीं में कई औषधीय गुण हैं, जो कि रोगों से लड़ने में मदद करते हैं। गीठीं का वनस्पतिक नाम नाम है डाइस्कोरिया बल्बीपेरा, ये डाइस्कोरेसी फैमिली का पौधा है। पूरे विश्व में गीठीं की कुल 600 प्रजातियां मिलती हैं। गीठीं के फल बेल में लगते हैं, जो कि गुलाबी, भूरे और हरे रंग के होते हैं। आमतौर पर गीठीं के फल की पैदावार अक्टूबर से नवंबर महीने के दौरान होती है। गीठीं में प्रचुर मात्रा में फाइबर मिलता है, कई जगह इसका इस्तेमाल सब्जी के तौर पर किया जाता है।

गीठीं का सेवन डायबिटिज, कैंसर, सांस की बीमारी, पेट दर्द, कुष्ठ रोग और अपच संबंधी समस्याओं में विशेष लाभदायी है। यही नहीं ये पाचन क्रिया को संतुलित करने के साथ ही फेफड़ों की बीमारी, त्वचा रोग और पित्त की थैली में सूजन जैसी समस्याओं में भी बेहद कारगर है। सर्दियों में पहाड़ की गडेरी और गेठी की बढ़ी डिमांड, डायबिटीज में हैं फायदेमंद सर्दी के मौसम में पहाड़ों पर इन दिनों गेठी तैयार हो चुकी है. किसानों की मानें तो पहाड़ पर उत्पादित होने वाली इन सब्जियों की डिमांड मंडियों में खूब है. किसान सरकार से गेठी उत्पादन में प्रोत्साहन देने की मांग कर रहे हैं।

सर्दियों में पहाड़ की गेठी की बढ़ी डिमांड, डायबिटीज में हैं फायदेमंद हैं. प्रकृति ने उत्तराखंड को कुछ ऐसे अनमोल तोहफे दिए हैं, जिनमें अद्भुत गुणों की भरमार है। इस बीच हैरानी की बात तो ये भी है कि आधुनिकता की इस दौड़ में हम लगातार इन अनमोल संपदाओं को भूलते जा रहे हैं। आज हम पहाड़ में उगने वाली ऐसी ही एक कुदरती सब्जी की बात करेंगे जो हमारे शरीर में मौजूद पेट की बीमारी को पल भर में दूर सकती है। इस सब्जी का नाम है गेठी (गींठी) की सब्जी। इस कंद की सब्जी भी कहा जाता है। अपने आप में ये कई कुदरती खूबियों को समेटे हुए है। बताया जाता है कि इस सब्जी को दक्षिण पूर्व एशिया और अफ्रीका में भी उगाया जाता है। खास बात ये भी है कि चरक संहिता और सुश्रुत संहिता में गेठी(गींठी) का स्थान दिव्य अट्ठारह पौधों में दिया गया है।

संस्कृत भाषा में गेठी को ’वरही’ कहते है जिसका शाब्दिक अर्थ है ’सुअरों का प्रिय’, भारत के अन्य भारत के हिमालयी क्षेत्रों में के पर्वतीय इलाकों में यह 1500 से 2200 मी0 की ऊचाई पर बहुतायत पाया जाता है। यह सब्जी लता पर उगती है। खाने में इसका टेस्ट गजब का होता है। यूं तो आमतौर पर ये सब्जी जंगलों में होती है। लेकिन कम कडुआ गेठी (गींठी) को कुछ जगहों में घरों में भी उगाया जाता है। इसका इस्तेमाल च्यवनप्राश में भी किया जाता है। पोषक तत्वों और एंटी ऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर ये सब्जी कैंसर जैसी बीमारियों का भी इलाज है।

जी हां वैज्ञानिक शोध कहता है कि एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर फल या सब्जियां खाने से कैंसर का काफी हद तक बचाव भी किया जा सकताहै।कई वैज्ञानिक अध्ययनों में यह माना गया है कि गेठी में Low Glycemic Index होने के कारण मधुमेह नियत्रण के साथ-साथ मोटापे की रोकथाम में भी सहायक होता है। गेठी में मुख्य रूप से Furanonorditepenes, Biosbulbin A-H घटक मौजूद होते है, जोकि ऐंटी ट्यूमर घटक होते है। इसके साथ ही गाठों में स्टेराॅइड पदार्थ पाया जाता है जोकि स्टेराॅइड हाॅर्मोन, Hormonal Conderaception और सेक्स हाॅर्मोन बनाने में प्रयोग किया जाता है। डायसकोरिया जाति में Diosgenin प्रचुर मात्रा में तथा Estrogen क्रियाओं से भरपूर होते है। निच्छादित Diosgenin व्यावसायिक रूप से Cortisone, Pregnenolone, Progesterone और अन्य स्टेराॅइड पदार्थ बनाने में प्रयुक्त होता है, जिससे इसकी बाजार माॅग व व्यवसायिक महत्व अत्यधिक बढ जाता है।  ये सारे पोषक तत्व शरीर के लिए बेहद ही फायदेमंद कहे जाते हैं। आलू प्रजाति के गेठी (गींठी)को पोटेटो याम के नाम से जाना जाता है। इसे कई बीमारियों में कारगर माना जाता है।

इसके अलावा इस सब्जी में फाइबर प्रचुर मात्रा में होता है, जो पेट के लिए बेहद ही फायदेमंद कहा जाता है। बवासीर के रोगियों के लिए ये सब्जी किसी वरदान से कम नहीं है। चिकित्सकों के अनुसार बवासीर या फिर दस्त की बीमारी के दौरान ऐसे फल या सब्जियों का सेवन करना चाहिए, जिनमें फाइबर की प्रचुर मात्रा हो। इसके लिए गेठी (गींठी)एकदम सही विकल्प कहा जा सकता है।