कोर्ट के फैसले पर सीएम धामी ने खुशी जताई
विपक्ष सरकार को लगा हुआ था घेरने में


देहरादून,4 नवम्बर : नैनीताल हाईकोर्ट ने एक याचिका पर राज्य की महिलाओं के लिए क्षैतिज आरक्षण वाले शासनादेशों पर रोक लगा दी थी। अदालत की रोक के बाद उत्तराखंड सरकार पर क्षैतिज आरक्षण को बनाए रखने का दबाव था। उत्तराखंड सरकार फिर इस मामले को लेकर सर्वाेच्च न्यायालय पहुंच गई। उत्तराखंड सरकार की नौकरियों में राज्य की महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट में दाखिल विशेष अनुग्रह याचिका (एसएलपी) पर आज सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। यानी अब उत्तराखंड की महिलाओं को 30 फीसदी क्षैतिज आरक्षण मिलेगा। जब नैनीताल हाईकोर्ट ने एक याचिका पर राज्य की महिलाओं के लिए क्षैतिज आरक्षण वाले शासनादेशों पर रोक लगाई थी तब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आश्वस्त किया था कि सरकार महिलाओं के क्षैतिज आरक्षण को कायम रखने के लिए कानून बनाएगी और सर्वाेच्च न्यायालय में जाएगी। प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में इन दोनों विकल्पों पर सहमति बनीं और अध्यादेश लाने का फैसला हुआ था। सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करने के बाद अब इस पर आज कोर्ट नंबर चार में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट में राज्य की एडवोकेट ऑन रिकार्ड वंशजा शुक्ला ने इसकी पुष्टि की थी। महिला क्षैतिज आरक्षण के लिए प्रदेश मंत्रिमंडल ने अध्यादेश लाने को सहमति दी थी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अध्यादेश के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। कार्मिक व सतर्कता विभाग ने प्रस्ताव विधायी को भेज दिया है। विशेषज्ञों का भी मानना था कि सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी से पहले अध्यादेश लाने से पैरवी को मजबूती मिल सकती है।

क्या है 30 फीसदी महिला क्षैतिज आरक्षण का मामला ?
उत्तराखंड में सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 18 जुलाई, 2001 से आरक्षण मिलना शुरू हुआ। तब 20 फीसदी आरक्षण से इसकी शुरूआत हुई थी। 24 जुलाई, 2006 में इसमें बढ़ोत्तरी करते हुए 30 फीसदी कर दिया गया था। यूकेपीएसबी एक्गजाम में उत्तराखंड की महिलाओं को जनरल कोटे (अनारक्षित श्रेणी) से 30 प्रतिशत आरक्षण मिलता था।

2021 में आया टर्निंग प्वाइंट
2021 में लोक सेवा आयोग की उत्तराखंड सम्मिलित प्रवर सेवा परीक्षा हुई। इसी वर्ष यानी 2021 में रिजल्ट घोषित हुआ। हरियाणा की एक महिला अभ्यर्थी पवित्रा चौहान इसके खिलाफ हाईकोर्ट चली गई थी। पवित्रा का तर्क था कि उसके नंबर उत्तराखंड की स्थानीय अभ्यर्थी से ज्यादा थे लेकिन उसे बाहर किया गया। पवित्रा ने कहा- ये आरक्षण संविधान के अनुच्छेद 14, 16,19 और 21 के विपरीत है।

2022 में महिला क्षैतिज आरक्षण पर लगी रोक
24 अगस्त 2022 को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिए जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिए जाने वाले 2006 के शासनादेश पर रोक लगा दी। उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दाखिल कर दी। उत्तराखंड सरकार की एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड वंशजा शुक्ला ने एसएलपी दाखिल की है। आज सुप्रीम कोर्ट ने नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी।

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