महासू देवता है जौनसारी की धार्मिक आस्था का प्रमुख केन्द्र

उत्तराखण्ड में ऐसे कई धार्मिक आस्था के स्थान है,जो भले ही विश्व पटल पर न पहचाने जाते हों लेकिन उत्तराखण्ड की जनता के मन मस्तिक में बसते है। वैसे तो उत्तराखण्ड को हम देवभूमि के रूप में पहंचानते है। चारों धाम विश्व पटल में धार्मिक श्रद्धा के केन्द्र है। पहाड़ के कण-कण में देवताओं का वास है। इन्ही देवी देवताओं में एक है महासू देवता। हनोल की सुन्दर वादियों में स्थित महासू देवता मंदिर जो जौनसार का ही नही। उत्तराखण्ड के मंदिरों में एक पवित्र धाम के रूप में पहचाना जाता है। कई पौराणिक कथाए भी महासू देवता के बारे में कही जाती है और जौनसारी लोग गीतों माध्यम से भी महासू देवता की महिमा का गुणगान करते है। 31 अगस्त को महासू देवता के प्रागण में हर वर्ष मेला लगता है। जिसमें हनोल की जनता के साथ-साथ हजारों की संख्या में श्रद्धालु महासू देवता के चरणों में शीष झुकाते है। बच्चे युवा बुजुर्ग सबकी तमन्ना होती है कि वह महासू देवता मेले में जाए और इस पवित्र धाम को नमन करे।

बरसों से महासू देवता मंदिर में लगने वाले मेले को राज्य मेला घोषित होती रही है। क्षेत्रीय जनता की मांग और श्रद्धा को देखकर संस्कृति विभाग ने हनोल में लगने वाले मेले को राज्य मेला घोषित किया। शायद यह हनोल की जनता के लिए उत्तराखण्ड सरकार का तोहफा था। साथ ही उत्तराखण्ड सरकार ने 31 अगस्त को इसके लिए राजकीय अवकाश घोषित किया। इसका सुखद परिणाम यह हुआ कि विगत वर्षो की तुलना में इस वर्ष हजारों की संख्या में श्रद्धालु महासू देवता के दर्शन को आए और मेले का आनन्द उठाया। साथ ही यहां के मैनेजमेंट ने एक अनोखी पहल की इस मेले का संपूर्ण लाईव टेलिकाष्ट एक स्थानीय चैनल के माध्यम से चलाया गया। जिससे कि अधिक से अधिक लोग महासू देवता के दर्शन कर सकें। महासू देवता मंदिर को संचालित करने वाला मैनेजमेंट इस मंदिर के विकास और उत्थान के लिए काम करता रहा। जिसमें श्रद्धालुओं के लिए निःशुल्क आवास और भोजन की व्यवस्था मैनेजमेंट के द्वारा किया गया। जिससे कि किसी श्रद्धालू को परेशानी का सामना न करना पड़े।

इस मेले के सफल आयोजन में और राज्य मेला घोषित करने में स्थानीय विधायक प्रीतम सिंह का बड़ा योगदान है। जब उनकी सरकार थी तब उनके द्वारा एक भव्य धर्मशाला का निर्माण कराया गया। लेकिन दुखद पहलू एक और भी है कि इस मंदिर के प्रागण का विकास वह नही हो पाया जो वास्तव में होना चाहिए था। स्थानीय लोगों का कहना है कि भक्तों के लिए शौचालय,पेयजल आदि की यहां विकट समस्या है। जिस कारण श्रद्धालु यहां रूकना पसंद नही करते और महासू देवता के दर्शन करके वापस चले जाते है। स्थानीय लोगों का यही कहना है कि अगर यहां श्रद्धालु यहां रूकेंगे तो रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। साथ ही स्थानीय लोगों का कहना यह है कि उन्होंने कई बार सरकार से भी गुहार लगाई है कि इसकी देखरेख और सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार ले, ताकि पर्यटक और श्रद्धालु अपने आप को सुरक्षित महसूस कर सकें। महासू देवता मंदिर को संचालित करने वाले मैनेजमेंट के अध्यक्ष का कहना है कि महासू देवता को पर्यटन विभाग के वेबसाईट पर स्थान मिलना चाहिए। जिससे विश्व स्तर पर महासू देवता की पहंचान बन सके।

अनिल चौहान