देहरादून,18 जून 2022 को एसएफआई उत्तराखंड ने केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में घोषित की नई सैन्य भर्ती योजना अग्निपथ को एक आपदा मानते हुए इसे भारत की संप्रभुता के लिए खतरा बताया। केंद्र सरकार ने पिछले दो वर्षों से नियमित सैन्य भर्ती नहीं करवाई है। जिसके चलते 2021 तक भारतीय सेना में 104,653 कर्मियों की कमी से झूज रही थी। इन पदों को भरने की बजाए केंद्र सरकार ने अब क्षेत्रीय कोटा को पूरी तरह से खत्म करने का फैसला कर 6 महीने की प्रशिक्षण अवधि सहित चार साल की अल्प-अवधि की भर्ती योजना के साथ जाने का फैसला किया है। चार साल बाद लगभग तीन-चौथाई सैनिक बिना पेंशन या ग्रेच्युटी के सेवानिवृत्त हो जाएंगे।

इस नीति के परिणामस्वरूप हर साल अन्य काम की तलाश में लगभग 35,000 बेरोजगार और शामिल होंगे, जिससे समय के साथ समाज का सैन्यीकरण होगा। यह नीति हमारी संप्रभुता की रक्षा करने वाले सुरक्षा बलों के मनोबल और व्यावसायिकता को भी काफी प्रभावित करेगी। सशस्त्र बलों ने हर साल लाखों युवाओं के लिए सुरक्षित और दीर्घकालिक रोजगार के स्रोत भी प्रदान किए है। यह नीति इस संभावना को भी खत्म कर लेंगी ।यह नीति केंद्र की मोदी सरकार द्वारा अपनाए जाने वाले नव-उदारवादी रास्ते के तहत हर संभव कार्य का संविदाकरण करने की योजना में शामिल है। इस नीति के परिणाम स्वरूप देश में कामकाजी लोगों की नौकरी की सुरक्षा और वित्तीय स्थिरता का पूर्ण विनाश होना निश्चीत है। इस नीति के माध्यम से सरकार ने दुनिया की साम्राज्यवादी ताकतों द्वारा प्रशिक्षित और बेरोजगार सैनिकों की भाड़े पर भर्ती के दरवाजे भी खोल दिए हैं।

हिमांशु ने बताया स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया भारतीय लोगों की संप्रभुता पर इन नव-उदारवादी हमलों का पुरजोर विरोध करते हुए अग्निपथ योजना को तत्काल प्रभाव से निरस्त करने और सशस्त्र बलों में नियमित भर्ती करने की मांग करती है। उन्होंने कहा कि बहुत शर्मनाक़ बात है कि देहरादून शहर के एसएसपी परेड ग्राउंड जा कर युवाओं को कहते हैं कि यदि विरोध प्रदर्शन का हिस्सा बनोगे तो पुलिस केस व लाठीचार्ज होगा। यह पद का दुरुपयोग करना है।

भारतीय सेना में शामिल होने के लिए केंद्र सरकार ने स्थाई भर्तियों की जगह अग्निपथ स्कीम की शुरुआत की है। इस स्कीम के तहत सेना में अब से चार साल की अस्थाई भर्तियां होंगी, जिनमें से केवल कुछ चुनिंदा लोगों को चार साल बाद नियमित करने का प्रस्ताव है। सेना में अस्थाई भर्तियां ना सिर्फ़ लाखों अभ्यर्थियों के साथ भद्दा मज़ाक है, बल्कि देश की सुरक्षा और सेना के आत्मबल पर किया जा रहा क्रूर प्रहार है।

नौजवान सभा (DYFI)के साथी सत्यम ने बताया कि स्टूडेंट्स फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिया (एसएफ़आई) व भारत की जनवादी नौजवान सभा लगातार मांग करती रही है कि बंद पड़ी सेना भर्ती प्रक्रियाओं को शीघ्र शुरू किया जाए। साथ ही दो साल से ज़्यादा समय से भर्ती ना कराने की केंद्र सरकार की विफलताओं के चलते जो अभ्यर्थी ओवरएज हो गए हैं, उन्हें उचित छूट देते हुए भर्ती में शामिल होने का मौका दिया जाए। परंतु छात्रों और अभ्यर्थियों की इन जायज़ मांगों को अनदेखा करते हुए केंद्र सरकार सेना पर अग्निपथ स्कीम के नाम पर संविदा प्रथा थोप रही है।

अतः स्टूडेंट्स फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिया (एसएफ़आई) की उत्तराखंड राज्य कमेटी सेना पर अग्निपथ स्कीम थोपे जाने का पुरज़ोर विरोध करती है। साथ ही सरकार से ये मांग करती है कि पुरानी भर्ती प्रक्रिया के तहत भर्तियां बिना किसी विलंब के शुरू की जाएं, और पिछले दो साल में ओवरएज हो चुके अभ्यर्थियों को उचित छूट देते हुए भर्ती में शामिल होने का मौका दिया जाए। इस अवसर पर डी ए वी इकाई अध्यक्ष मनोज कुँवर ,पूजा बिष्ट ,पूजा ममगाई, शुभम कण्डारी,सोनू सिंह, हरि गौतम, साक्षी रावत, भारत ज्ञान विज्ञान समिति के प्रदेश अध्यक्ष विजय भट्ट, सतीश धोलखंडी, इंद्रेश नोटियाल,आदि लोग मौजूद रहे।

वह ये लड़ाई सिर्फ रोजगार के लिए नहीं लड़ हैं जिनके खून में व्यापार है उन भेड़ियाओं के नाखूनों से देश को बचाने के लिए भी लड़ रहे हैं। पूरी स्टोरी पढ़ने के लिए नीचे दिये लिंक को क्लिक करें

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