किसी भी प्रदेश की तरक्की का ग्राफ इस बात पर निर्भर करता है जब कि उसके लोग कितने सेहतमंद है। जनता स्वस्थ रहे, इसके लिए चिकित्सा सुविधाएं दुरुस्त होनी चाहिए, लेकिन उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवा की स्थिति निराशाजनक है। बीते सालों में कई छोटे-छोटे प्रयास भी किए गए पर अब भी कई चुनौतियां मुंह बाहे खड़ी हैं। स्थिति यह कि दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ सेवाओं की पहुंच, चिकित्सकों की संख्या में बढ़ोत्तरी और संसाधन विकसित करने के सरकारी दावों के बीच जच्चा-बच्चा सड़क पर दम तोड़ देते हैं। सामान्य बीमारी तक के लिए व्यक्ति प्राइवेट अस्पताल का रुख करने को मजबूर है। 22 साल का यह पहाड़ी प्रदेश एकमात्र राज्य है, सेहत के मामले में जिसका प्रदर्शन बेहतर होने की बजाए बदतर हुआ है।
पौड़ी, 23 मई : उत्तराखण्ड के स्वास्थ्य विभाग की कलई एक बार फिर खुलकर सामने आ गयी है। इस बार मामला रिखणीखाल के नैनीडांडा ब्लाक के अंतर्गत ग्रामसभा डांडातोली के ग्राम पोखार से आया है जहाँ एक किशोरी का हाथ को गत्ते का सपोर्ट दे कर कोटद्वार रेफर किया गया । भले ही सरकार लाख दावे करें किन्तु प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में आज भी स्वास्थ्य सेवाएं बदतर हालत में हैं। जिसके चलते हर साल सैकड़ों लोग असमय काल का ग्रास बन रहे है। सरकार ने पर्वतीय क्षेत्रों के स्वास्थ्य केंद्र तो बना दिए ,लेकिन इनमें जानकारों की तैनाती व मूलभूत सुविधाये भी आमजन को नसीब नहीं वह भी तब जब केंद्र सरकार की तरफ़ से स्वास्थ्य सेवाओं के बजट में किसी तरह की कोई कमी नहीं की जा रही है. लेकिन ये पैसा कहाँ जा रहा है ? इसकी जाँच होना भी बेहद आवश्यक है।
उत्तराखंड को वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए 851.83 करोड़ और वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए 884.20 करोड़ की मंजूरी केंद्र सरकार से मिली है। उत्तराखंड के दुर्गम पर्वतीय इलाकों तक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाने के लिए केंद्र ने 1736 करोड़ तीन लाख रुपये को मंजूरी दे दी है।
पोखार निवासी इस किशोरी के हाथ की हड्डी टूट गई थी व नजदीकी चिकित्सालय में एक्स-रे टैक्नीशियन न होने के कारण किशोरी के हाथ पर गत्ता बांध उसे कोटद्वार रेफर करना चिकित्सक की मजबूरी बन गई। प्रखंड रिखणीखाल के अंतर्गत करीब 80 ग्रामसभाओं के साथ ही इस ब्लाक से सटे नैनीडांडा ब्लाक के कई गांव को रिखणीखाल के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से ही स्वास्थ्य सुविधाएं मिलती हैं, लेकिन इस केंद्र में सुविधाओं की बात करें तो चिकित्सालय स्टाफ की भारी कमी से जूझ रहा है। कुछ माह पूर्व शासन ने चिकित्सालय में एक्स-रे मशीन तो रखवा दी, लेकिन आज तक इस मशीन के संचालन के लिए विशेषज्ञ की तैनाती नहीं की गई है। नतीजा, एक्स-रे मशीन होने के बावजूद ग्रामीणों को एक्स-रे करवाने के लिए करीब सौ किमी. दूर कोटद्वार के बेस चिकित्सालय में आना पड़ता है।
ग्राम पोखार निवासी किशोरी के हाथ में बंधे गत्ते को देख जब चिकित्सालय प्रशासन से इसका कारण पूछा गया तो चिकित्सक डा.तान्या ने पूरी स्थिति स्पष्ट कर दी। डा.तान्या ने बताया कि किशोरी के हाथ का एक्स-रे होने के बाद ही प्लास्टर किया जाना था, लेकिन एक्स-रे टैक्निशियन न होने के कारण एक्स-रे नहीं हो पाया। किशोरी के हाथ में पट्टी बांध उसे कोटद्वार के लिए रेफर कर दिया। सफर के दौरान हाथ हिलने से टूटी हड्डी हाथ को अधिक नुकसान पहुंचा सकती थी, इस कारण पट्टी के बाहर गत्ता बांध हाथ को सपोर्ट दिया गया।
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