देहरादून, 21 मार्च: भारतीय जनता पार्टी  के विधायक मंडल दल की बैठक खत्म हो चुकी है। बैठक में पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया गया है। नए मुख्यमंत्री का 23 मार्च को शपथ ग्रहण समारोह होने की बात कही जा रही है। उत्तराखंड में बीजेपी ने शानदार बहुमत तो हासिल कर लिया, लेकिन मुख्यमंत्री धामी को खटीमा से हार का सामना करना पड़ा।

ऐसे में सरकार का नेतृत्व कौन करेगा, इसे लेकर संशय की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। इसे दूर करने के लिए बीजेपी में शीर्ष स्तर पर मंथन चला। हालांकि चुनाव हारने के बावजूद पार्टी आलाकमान ने पुष्कर सिंह धामी पर एक बार फिर भरोसा दिखाया है। उन्हें कमान सौंपे जाने का फैसला लिया है। पुष्कर सिंह धामी भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। बीजेपी के युवा कार्यकर्ताओं पर उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है। उन्हें दोबारा मुख्यमंत्री बनाए जाने के पीछे बीजेपी की एक रणनीति युवा वोटरों को साधने की भी हो सकती है। ये रणनीति 2024 के लोकसभा चुनाव में रंग दिखाएगी। धामी को उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी का करीबी माना जाता है। कोश्यारी अब सक्रिय राजनीति में नहीं हैं और फिलहाल महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं. राजनाथ सिंह के भी धामी करीबी माने जाते हैं।

दो दशक से चली आ रही पंरमपरा टूटी, कैबिनेट से पहले विधायक ने ली शपथ

विधानसभा चुनाव में दो दशक के बाद सत्ता परिवर्तन का मिथक टूटा है। वहीं इस बार विधानसभा के इतिहास में पिछले चार चुनाव से चली आ रही एक और परंपरा टूट गई। पांचवीं विधानसभा में मुख्यमंत्री व कैबिनेट से पहले निर्वाचित विधायक पद की शपथ ली। अभी तक यह परंपरा रही कि मुख्यमंत्री पहले शपथ लेते थे, जिसके बाद ही विधायकों को शपथ दिलाई जाती थी।
विधायक दल का नेता चुनने के लिए आज होने वाली भाजपा विधायक मंडल दल की बैठक के बाद मुख्यमंत्री को लेकर कयासबाजी का दौर भी खत्म हो जाएगा। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की ओर से मुख्यमंत्री पद के लिए नाम तय हो चुका है। इसका एलान विधायक मंडल दल की औपचारिक बैठक में होगा। बता दें कि जब भी विधानसभा चुनाव होते हैं, नई सरकार के गठन के लिए बहुमत हासिल करने वाली पार्टी विधायक मंडल की बैठक बुलाकर मुख्यमंत्री तय करती है।लेकिन इस बार एक पुरानी परंपरा टूटेगी। अभी तक पंरपरा यह थी कि विधायक मंडल दल की बैठक में विधायक दल का नेता चुने के बाद मुख्यमंत्री व कैबिनेट शपथ लेती थी। जिसके बाद मुख्यमंत्री की ओर से राजभवन को प्रोटेम स्पीकर के लिए वरिष्ठ नेता का नाम भेजा जाता था, लेकिन इस बार विधायक मंडल दल से पहले ही राज्यपाल ने प्रोटेम स्पीकर नियुक्त कर दिया। साथ ही प्रोटेम स्पीकर व सभी निर्वाचित सदस्यों को मुख्यमंत्री से पहले शपथ ली।

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