दिनांक: 23 जनवरी, उत्तराखंड वन विकास निगम द्वारा दिसम्बर 2021 में गंगा नदी (बिशनपुर), गंगा नदी (श्यामपुर), गंगा नदी (भोगपुर) और गंगा नदी (चिड़ियापुर) में किये जा रहे खनन को बंद करने के लिए परम पूज्य श्री गुरुदेव शिवानंद सरस्वती जी द्वारा 14 दिसम्बर, 2021 से अपनी तपस्या शुरू करना प्रस्तावित था। परन्तु इस दौरान जिला प्रशासन, हरिद्वार से लगातार मिले आश्वासनों को देखते हुए इसे 25 दिसम्बर, 2021 और पुनः 5 जनवरी, 2022 तक स्थगित किया गया। इस दौरान 5 जनवरी, 2022 को जिलाधिकारी, हरिद्वार मातृ सदन आये, और मातृ सदन द्वारा अवगत कराये जाने पर कि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, नई दिल्ली द्वारा 2020 में उक्त पट्टों के लिए दी गयी पर्यावरणीय स्वीकृति रायवाला से भोगपुर तक के लिए अनुमन्य नहीं होगी। इस पर जिलाधिकारी, हरिद्वार द्वारा तत्काल जांच बैठाई गयी। 6 जनवरी, 2022 को उप-जिलाधिकारी, हरिद्वार की अगुवाई में वन विकास निगम के अधिकारी मातृ सदन पहुंचे और इस बात को सभी ने स्वीकार किया कि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा दी गयी पर्यावरणीय स्वीकृति में ही राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के 9 अक्टूबर, 2018 के आदेश का अनुपालन बाध्य किया गया है, जिसके अनुसार रायवाला से भोगपुर तक गंगा नदी में खनन पर पूर्ण पाबंदी है। साथ ही राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के आदेश के बिना इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार के खनन सम्बन्धी कार्यादेश जारी नहीं किये जा सकते। इस टीम ने जिलाधिकारी को अपनी जांच आख्या में यह सभी बातें स्पष्ट कर दीं, जिसके उपरांत जिलाधिकारी, हरिद्वार द्वारा 10 जनवरी 2022 को सचिव, औद्योगिक विकास (खनन) अनुभाग, देहरादून को पत्र लिखते हुए वर्तमान में जारी खनन पट्टों पर तत्काल पुनर्विचार करने का अनुरोध किया गया। परन्तु इस पत्र के दो हफ्ते बीत जाने के बावजूद औद्योगिक सचिव से अभी तक इसका कोई जवाब नहीं आया है।
इतना ही नहीं, उत्तराखंड में माफिया तंत्र इतना प्रभावी है कि इसी बीच 5 जनवरी 2022 को एक और कार्यादेश जारी किया गया जिसके तहत एक प्राइवेट कांट्रेक्टर को ‘रिवर ड्रेजिंग नीति, 2021’ के तहत गंगा नदी (बिशनपुर) में 6 महीने तक खनन करने के आदेश दे दिए गए।
‘ड्रेजिंग’ के लिए माननीय उत्तराखंड उच्च न्यायालय का जनहित याचिका 93/2015 में स्पष्ट आदेश है कि यदि ड्रेजिंग का प्रयोग ‘commercial purposes’ के लिए किया जाता है, तो उसके लिए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से पर्यावरणीय स्वीकृति अनिवार्य होगी। 5 जनवरी 2022 के कार्यादेश में माननीय उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना करते हुए बिना पर्यावरणीय स्वीकृति के ही आदेश दे दिए गए।
हर जगह गलत काम हो रहा है, उसपर रोक नहीं लगायी जा रही है। 9 अक्टूबर, 2018 को राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा रायवाला से भोगपुर तक खनन बंदी का आदेश जिलाधिकारी, हरिद्वार को ही दिया गया हैं। परन्तु तथ्यों को दरकिनार कर गंगा को नष्ट किया जा रहा है। अब तो उत्तराखंड वन विकास निगम के अधिकारी भी इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि गंगाजी में कोई भी पत्थर या बोल्डर ऊपर से नहीं आता है, केवल रेत ही नीचे आती है। परन्तु हरिद्वार में गंगा नदी के बेल्ट से केवल पत्थर/बोल्डर का ही खनन हो रहा है। और इन सभी तथ्यों को लेकर जब मातृ सदन के प्रतिनिधि 22 जनवरी 2022 को जिलाधिकारी, हरिद्वार से मिले, तब उन्होनें स्पष्ट शब्दों में कह दिया कि वर्तमान समय में चल रहे खनन पट्टों पर रोक नहीं लगायी जा सकती क्यूंकि निर्वाचन आयोग ने भी इसके लिए स्वीकृति दे दी है। अब प्रश्न ये भी है कि निर्वाचन आयोग को यह अधिकार किसने दे दिया कि वह राष्ट्रीय नदी गंगाजी में चुनाव के दौरान खनन करने की स्वीकृति प्रदान करे ? इन सभी बातों को देखते हुए दिनांक 22 जनवरी 2022 को मातृ सदन ने निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर 24 घंटे के भीतर इसका जवाब माँगा है, जो समय आज 23 जनवरी 2022 की मध्य रात्रि समाप्त हो रहा है। अगर निर्वाचन आयोग से आज कोई जवाब नहीं आता है, तो तद्पश्चात कल, यानी 24 जनवरी 2022 से परम पूज्य श्री गुरुदेव जी पूर्व की भांति अपनी उग्र तपस्या आरम्भ करेंगे।
मातृ-सदन (ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद)