मकर संक्रांति को हुआ दाह संस्कार जिसके चलते अंतिम यात्रा में शामिल लोगों को गंगा स्नान का मिला सौभाग्य

देहरादून,14 जनवरी : शहर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पं0 भगवती प्रसाद अमोली का कल दिनांक 13-1-2022 को अपने निवास स्थान एकता इन्कलेब (कारगी ग्रांट ) में निधन हो गया वह 86 वर्ष के थे ।

उनके बड़े पुत्र दीपक ने बताया कि- “सुबह से सब कुछ सामान्य ही था। पिता जी भी अपने नित्यकर्म करने के बाद दोपहर का भोजन कर धूप में लेटे हुए थे । लगभग 2 बजे उन्होंने तेज धूप का हवाला देते हुए आवाज लगा कर अन्दर जाने कि इच्छा जताई, जैसे ही मैंने उनके गले के नीचे हाथ डाल कर उठाने का प्रयास किया कि उनकी गर्दन दूसरी और पलट गई। किसी की भी समझ में कुछ नहीं आया कि क्या हुआ .. आस-पास किसी डाक्टर के न मिलने के चलते हम लोग तुरंत ही उन्हें लेकर दून मेडिकल कॉलेज पहुंचे, जहाँ डॉक्टरों ने उनकी जांच कर मृत घोषित कर दिया। कोविड के चलते किसी को भी सूचना देना मुनासिब नहीं था। इसलिये निकटस्थ पारिवारिक लोगों के साथ हरिद्वार के खड़खड़ी घाट में अंतिम संस्कार कर दिया गया । मुखाग्नि छोटे बेटे सुशील द्वारा दी गई ।

पं0 भगवती प्रसाद अमोली का जन्म सन 1935 में यमकेश्वर(पौड़ी गड़वाल) के ग्राम अमोला में माता सुभदा देवी व पिता गोविन्द राम जी के यहाँ हुआ था। इकलौती संतान होने के कारण घर वालों ने बाहर नहीं भेजना चाहते थे, जिसके चलते पं0 कृष्णा नंद जी द्वारा 4 वर्षों तक ज्योतिष विद्या का ज्ञान प्राप्त करने के बाद, दादा नेत्रमणि व पिता गोविन्द राम से विरासत में मिली कर्मकांड व ज्योतिष विद्या को आजीविका के रूप में अपनाया। 1964 में उन्होंने उन्होंने अपना नाम भारतीय शिक्षा परिषद् व मेडिसन बोर्ड में दर्ज करवा लिया था। 1966 में ज्ञान का विस्तार करने की चाह में वह परिवार द्वारा बनाई सीमा को तोड़ कर देहरादून आ गए और फिर यहीं के होकर रह गए।

दून आने के बाद का उनका जीवन संघर्ष अपने आप में एक सम्पूर्ण दस्तावेज है कि कैसे वह चकराता रोड से दर्शनी गेट ,नेताजी मोहल्ला (झंडा बाजार), भंडारी बाग़ में प्रवास करते हुए अंत में अपने कारगी ग्रांट वाले घर में पहुँचते हैं। इस बीच उनके द्वारा ज्योतिष कई नये पहलुओं को समझते हुए उनके कुछ नयी बातों का समवेश भी किया गया। जिसके चलते अखिल भारतीय ज्योतिष सम्मलेन नाभा ने 1990 में उन्हें स्वर्ण पदक देकर सम्मनित किया। उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। कुल जमा 2 स्वर्ण 3 रजत के साथ, ज्योतिष भूषण, ज्योतिष सुधाकर, ज्योतिष शिरोमणि, दैवज्ञ जैसे अलंक्रणों से सुशोभित होते रहे। इतना सम्मान पाने के बाद भी उनकी सादगी उन्हें दूसरों से अलग करती थी।2000 के बाद से स्वाथ्य व पारिवारिक व्यस्तता के चलते उन्होंने सामाजिक क्रियाकलापों को सीमित कर दिया था।वह अपने व्यसाय से पूरी तरह से संतुष्ट थे। लोगों द्वारा मिले स्नेह को ही वह अपनी पूँजी मानते थे। 2013 में उत्तराखंड विद्त सभा द्वारा अति विशिष्ठ व्यक्तित्व से सम्मानित कर उन्हें आजीवन अपने संरक्षण मंडल में शामिल किया था। उनके द्वारा बनाई जाने वाली सवा मीटर लम्बी रंगीन हस्तलिखित जन्म पत्रीयां आज भी दून के कई प्रतिष्ठित परिवारों के पास मौजूद हैं। जिसमें वह व्यक्ति के जन्मलग्न को देखते हुए विस्तार से गणत करते थे। संस्कृत सीखने वाले छात्र अक्सर उनसे ज्योतिष सीखने आते थे, जिन्हें वह नि:शुक्ल पढ़ते थे। वह बड़े गर्व के साथ बताते थे कि उनके पढाये छात्र आज कनाडा जा कर ज्योतिष विद्या का प्रसार कर रहें हैं। उनके द्वारा अमोली भ्रात मंडल की स्थापना भी की गई थी जिसके वह आजीवन अध्यक्ष रहे।

पं0 अमोली अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ गए जिसमें उनकी पहली पत्नी शांता देवी से प्राप्त पुत्रीयां सरोज, सुलोचना, लक्ष्मी, यशोदा व दूसरी पत्नी से पुत्र दीपक व सुशील शामिल हैं। सभी पुत्रियाँ सम्मानित परिवारों में विवाहित हो कर कुल का नाम रोशन कर रहीं हैं। बड़ा बेटा दीपक अपने पिता से विरासत में मिली की परम्परा को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहा है, तो छोटा सुशील शिक्षक के रूप में सेवा दे रहा है।

बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी पं0 भगवती प्रसाद अमोली जी को जनसंवाद की तरफ़ से भावभीनी श्रधान्जली #ज्योतिषाचार्य #पं0_भगवतीप्रसादअमोली #Astrologer #Pt_Bhagwati_Prasad_Amoli #jyotishachary