वेतन विसंगतियों को लेकर इनके भीतर गुस्से का लावा 2013 से उबलना शुरू हो गया था मगर अनुशासित सिपाहियों ने उसे कभी अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। कानून व्यवस्था के रखवाले खुद आंदोलन नहीं कर सकते। लिहाजा उनके साथ हो रहे अन्याय का सामना करने उनके परीजन उतर पड़े और आज प्रदेश भर में सिपाहियों की पत्नियां, बेटे-बेटियां और रिश्तेदार सड़कों पर उतर कर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रत्यक्ष रूप से सिपाही बेशक खुद अनुशासित हों परंतु जिस तरह से उनके घर वाले आंदोलनरत हैं ऐसी स्थिति में वह कभी भी विस्फोट के रूप में सामने आ सकती है ।
ग्रेड पे को लेकर चल रही पुलिस परिजनों कि मांग आचार सहिंता लागू हो जाने के बावजूद भी जारी है । इसी क्रम में आज वह लोग अपने मुद्दे को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह से मुलाकात करी । हरीश रावत ने उनकी बातों को ध्यान पूर्वक सुन कर उनके साथ 2013 हुए अन्याय के लिए माफ़ी मांगते हुए आश्वासन दिया कि उनकी इस मांग को कांग्रेस अपने घोषणा पत्र में शामिल करेगी ।
इसके अलवा हरिद्वार में भी आन्दोलन कि धमक देखने को मिली । वहां भी ऋषिकुल मैदान में इकठ्ठा हुए नाराज परिजनों ने सरकार से मिले 2-2 लाख वापस लौटने की घोषणा करी तो कुछ पुलिस कर्मियों द्वारा चुनाव ड्यूटी का बहिष्कार करने कि ख़बर भी सामने आई, जिसके बाद पुलिस महकमे में हडकंप मच गया । इधर दून में भी नाराज परिजनों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर उन्हें गुमराह करने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ़ मोर्चा खोलते हुए कहा कि इस बार वह कहीं से भी चुनाव लड़ लें, वह लोग उन्हें जीतने नहीं देंगी । सरकार द्वारा घोषित 2 लाख को झुनझुना बताते हुए उन्होंने कहा कि 17 जनवरी को वह सब सामूहिक तौर पर डीजीपी को यह रकम वापस करेंगे । बाकी आज एडीजी अभिनव कुमार से भी उनकी मुलाकात होने कि बात कही ।
आखिर क्या है सिपाहियों से जुड़े ग्रेड पे का ये मामला
9 नवम्बर 2000 में पृथक राज्य बनने के बाद उत्तराखंड पुलिस में सिपाहियों की पहली भर्ती 2001 में हुई थी। उस वक्त पदोन्नति के लिए तय समय सीमा 8,12 व 22 वर्ष थी। सिपाहियों की भर्ती के समय ग्रेड पे 2000 होता है। इसके 8 साल बाद उन्हें 2400 तथा 12 साल बाद 4600 और 22 साल की सेवा के बाद 4800 का ग्रेड पे दिए जाने का प्रावधान था। अब इस हिसाब से इस बैच के सिपाहियों को 12 वर्ष बाद यानि 2013 में 4600 रुपये ग्रेड पे का लाभ मिलना था। लेकिन, उससे पहले ही सरकार ने उनकी पदोन्नति की नीति में बदलाव लाकर समय-सीमा को 10, 16 व 26 वर्ष दिया। उस वक्त कहा गया कि नई नीति के चलते 4600 ग्रेड पे उन्हें 4 साल बाद यानि वर्ष 2017 में दिया जायेगा।
अब जैसे ही यह सिपाही 2017 में पहुँचते हैं तो सरकार पदोन्नति कि फ़िर एक नई नीति लेकर आ जाती है कि जिसके अन्तर्गत समय सीमा 10, 20 व 30 वर्ष कर दी गई । इस हिसाब से पिछले साल 2001 बैच के सिपाहियों को 4600 ग्रेड पे का लाभ दिया जाना था। लेकिन, अब पिछले दिनों शासन ने ग्रेड पे को ही घटा दिया। ऐसे में सिपाहियों का कहना है कि जब जब उनका नंबर आया तब सरकार नियमों में बदलाव ला कर उनके साथ छल कर रही है ।
किन लोगों का है समर्थन
कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, यूकेडी समेत कई दलों ने पुलिस कर्मियों की मांग पर खुलकर पुलिस कर्मियों के परिजनों के समर्थन में हैं इसके अलावा उत्तराखंड एससी-एसटी इंप्लाइज फेडरेशन, दून केंद्रीय पेंशनर एसोसिएशन, उत्तराखंड जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन के कर्मचारी नेताओं का समर्थन भी इनके साथ हैं।