देहरादून, 05 जनवरी : राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरी में 10% प्रतिशत आरक्षण के अध्यादेश को मंजूरी देने के लिए कैबिनेट ने राजभवन से निवेदन करने का निर्णय लिया है। सनद रहे कि राजभवन में यह विधेयक पिछले 5 वर्षों से लंबित है। इससे आंदोनांकरियों में आक्रोश बढ़ रहा था। अब तक चुनाव से पहले राज्य सरकार ने इस मामले में राज्यपाल से संपर्क करने का निर्णय लिया है ताकि राज्य आंदोलनकारियों को आरक्षण का लाभ मिल सके। एक तरफ तो इस अध्यादेश के लंबित रहने के कारण कई चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति नहीं मिल पायी थी तो दूसरी तरफ 07 मार्च 2018 के उच्च न्यायालय के आदेश चलते पूर्व में कार्यरत आन्दोलनकारी श्रेणी में चयनित कर्मचारियों पर भी निष्कासन की तलवार लटक रही थी।
इस मुद्दे पर क्रांति कुकरेती की अगुवाई में पिछले 10 दिनों से लगातार देहरादून स्थित शहीद स्मारक पर पीड़ित आन्दोलनकरीयों का सामूहिक उपवास चल रहा था। पीड़ित आंदोलनकारियों ने 10% लागू न होने की सूरत में सरकार को 01 जनवरी को सामूहिक आत्मदाह की चेतावनी दे रखी थी। पूर्व राज्य मंत्री व वरिष्ठ आंदोलनकारी रविन्द्र जुगराण के माध्यम से पीड़ित आंदोलनकारी मंच के संयोजक क्रांति कुकरेती को मुख्यमंत्री धामी द्वारा फ़ोन पर दिये गए आश्वासन के बाद 01जनवरी को किये जाने वाला आत्मघाती फैसले को स्थगित कर दिया गया था। उसके बाद से इस मुद्दे पर रविन्द्र जुगराण लगातार सक्रिय रह कर आंदोलनकारियों व सरकार के बीच ‘पुल’ का काम कर रहे थे।
कल की कैबिनेट में आये 10% आरक्षण के मुद्दे पर पीड़ित आन्दोलनकारीयों ने मुख्यमंत्री का आभार प्रकट करते हुए कहा कि वह इसे आधी जीत मानते हैं। वह लोग पिछले 9 सालों से अपनी नियुक्ति की बाट जोह रहें हैं । जब तक उन लोगों को नियुक्ति पत्र नहीं मिल जाता उनका धरना उपवास जारी रहेगा।
भारी बारिश के बीच आज के धरने बैठने वालों में खटीमा से धर्मेन्द्र बिष्ट,क्रांति कुकरेती,अम्बुज शर्मा,सूर्यकांत बमराड़ा,विमल जुयाल,राम किशन, गणेश शाह,।मनोज कुमार आदि थे, जबकि समर्थन देने वालों में धर्मा नंद भट्ट, रामपाल, विनोद असवाल,पूरण सिंह लिंगवाल,प्रभात डंडरियाल,प. विपुल नॉटियाल,गीता नेगी,विकास रावत व रमेश शर्मा आदि थे।