अल्मोड़ा 29 दिसम्बर – शासन की वादाखिलाफी और निदेशालय के कार्मिक हित के विपरीत संवेदनहीन व तानाशाहीपूर्ण नजरिये के कारण मेरी पदोन्नति की आस पर तुषारापात तो अब हो चुका है लेकिन इसके पीछे सुलगते सवालों पर जवाबदेही तय होनी शेष है ।
दो दिन बाद रिटायर हो रहे सहायक लेखा परीक्षा अधिकारी के पद पर तैनात उत्तराखंड कार्मिक एकता मंच के प्रदेश अध्यक्ष रमेश चंद्र पाण्डे ने यह बात आज यहां नगरपालिका सभागार में आयोजित एक प्रैस वार्ता में कहीं । बता दें कि मंगलवार को दिन में न्याय के प्रतीक गोलज्यू के दरबार में इस मामले में दूध का दूध और पानी का पानी करने की गुहार लगाने के बाद श्री पाण्डे सांय गांधी पार्क में 06 बजे से तीन दिन तक के लिए रात्रि धरने में बैठ गये थे । देर रात निदेशालय से उनके सभी पत्रों का जवाब मिलने के बाद उन्होंने आन्दोलन को वापस करने का ऐलान किया ।निदेशालय से मिले जवाब की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि वे इससे सहमत नहीं हैं लेकिन अब समय नहीं है । कागजी घुड़दौड़ हुई लेकिन अपना पक्ष रखने का अवसर भी नहीं दिया गया । जो उत्तर मिले हैं उनसे निदेशालय का नजरिया और मंशा जाहिर हो गई है ।
उन्होंने कहा कि ढांचे में पदों की कटौती से उत्पन्न विवाद के सैटलमैन्ट हेतु शासन स्तर पर सबको एक बार पदोन्नति देने हेतु सहमति हुई थी लेकिन नियमावली में ऐसा प्रावधान कर दिया जिससे वरिष्ठ तो पदोन्नति से वंचित हो गये और जूनियर प्रमोशन पा गये । कहा कि ऐसा नियम किसी भी स्तर पर स्वीकार नहीं हो सकता । उन्होंने निदेशक से शासन में हुई सहमति के क्रम में फाइनल सैटलमेन्ट हेतु रिक्त 4 पदो पर पदोन्नति से वंचित 4 को पदोन्नति देने का प्रकरण शासन को भेजने का आग्रह किया था ।
इस अवसर पर मंच के महासचिव दिगम्बर फुलोरिया ने कहा कि पदोन्नति जैसे रूटीन के मामले को लेकर श्री पाण्डे द्वारा जवाबदेही के लिए अन्तिम क्षण तक किये गये संघर्षपूर्ण प्रयास एक नजीर है जिससे सरकार के साथ ही कार्मिक सेवा संघों की भूमिका भी एक्सपोज हो चुकी है ।