देहरादून। उत्तराखंड के युवा इन दिनों सख्त भू-कानून की मांग कर रहे हैं। खास बात ये है कि गैर राजनैतिक संगठनों के साथ मिलकर युवाओं ने अब राज्य सरकार के खिलाफ आर-पार की लड़ाई लड़ने का ऐलान कर दिया है। साथ ही इन युवाओं ने किसी भी राजनैतिक दल का समर्थन लेने से इनकार करते हुए बिना किसी बैनर के तले आंदोलन लड़ने की बात की हैा ये बात अलग है कि कांग्रेस से लेकर यूकेडी तक इस आंदोलन में खुद को जोड़ने की बात कर रहे हैं। युवाओं का कहना है कि उत्तराखंड में जब तक सख्त भू कानून नहीं बन जाता तब तक उनकी लड़ाई जारी रहेगी।

यूकेडी लड़ रही भू कानून की लड़ाई

यूकेडी के युवा तेजतर्रार नेता और देहरादून की कैंट विधानसभा सीट से मजबूत दावेदार अनिरूद्व काला ने कहा भू कानून उत्तराखंड राज्य के लिए आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत है। हिमाचल की तर्ज पर उत्तराखंड को एक सशक्त भू कानून की जरूरत है। हम इस लड़ाई को बहुत अच्छे से लड़ रहे हैं। और आज इसी का नजीता है कि बहुत सारे सामाजिक संगठन व अन्य पार्टियों के लोग इस अभियान से जुड़ चुके हैं।

यूकेडी के अनिरुद्ध काला ने कहा देर से ही सही मगर अब आम जनमानस की समझ में यह बात आ गई जब अपनी जमीन बचेगी तभी तो हम भी बच पाएंगे. इसलिये अब पहाड़ का युवा इस अभियान से जुड़ रहा है उन्होंने कहा उत्तराखंड राज्य की मांग के पीछे यहाँ की बिषम भौगिलिक परिस्थितियां थीं मगर पिछले 21 सालों में यहाँ की सत्ताधारी सरकारों ने सब तहस- नहस कर दिया। हमारे पास पहले से जमीनें कम हैं अगर वह भी हाथ से निकल गई तो क्या बचेगा। उन्होंने दोनों राष्ट्रीय दलों को आड़े लेते हुए कहा कि वह अपने लच्छेदार भाषणों में तो पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी की पूरी चिंता करते हैं मगर सत्ता में आने पर दिल्ली दरबारों के आदेश पर काम करते हैं। अगर इन दलों ने पहाड़ की दशा और दिशा सुधारने का रत्ती भर भी प्रयास किया होता तो पहाड़ से इस तादाद में पलायन नहीं होता और यहां के गांव भूतिया गांव में तबदील नहीं होते।

अनिरुद्ध ने कहा उत्तराखंड अनियोजित विकास की मार झेल रहा है और इसका नतीजा राज्य के मूल निवासी भुगत रहे हैं। शहरों की हालत खस्ताहालत है ट्रैफिक जी का जंजाल बन चुका है। पेड़ों को काट-काटकर कंक्रीट की ईमारतें खड़ी हो चुकी हैं। विकास तो नाम का रह गया है जनता त्रस्त है। यूकेडी राज्य के विकास की लड़ाई को हमेशा लड़ती रहेगी। जनता को समझ आ गया है कि भाजपा-कांग्रेस ने उसके साथ छलावा कर हमेशा अपने हित साधे हैं। राज्य की जनता के बीच यूकेडी ही एक मात्र मजबूत विकल्प है। यूकेडी ही राज्य की मूलभूत समस्याओं को दूर कर आंदोलनकारियों के सपनों को साकार कर सकती है।

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