देहरादून,10 नबम्बर: उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी मंच द्वारा राज्य आन्दोलन के शहीद राजेश रावत व जशोधर बेंजवाल क़ी उनकी शहादत पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर श्रद्धांजली दी। सनद रहे कि 26 साल पहले आज ही के दिन (10 नवम्बर 1995 को) श्रीनगर में अलकनन्दा नदी की दो मुख्य धाराओं के बीच मौजूद श्रीयंत्र टापू पर पुलिसिया कार्रवाई में दो युवा राज्य आंदोलनकारी यशोधर बेंजवाल और राजेश रावत की हत्या कर उनके पार्थिव शरीर को उनके शरीरों को अलकनंदा नदी में बहा दिया गया व 55 आन्दोलनकारियों पर मुकदमे दर्ज कर गिरफ्तार करने के बाद पुलिस की गाड़ी में बेठा कर बुरे तरीके से पीटते हुए सहारनपुर जेल भेज दिया गया । इस पुलिसिया दमन में कई लोग घायल भी हुए थे, जिनमें डा.एस.पी.सती, गढ़वाल विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र संघ के अध्यक्ष अनिल कालाव मुकेश चमोली आदि शामिल थे. अनिल काला अब इस दुनिया में नहीं हैं ।

जगमोहन सिंह नेगी व पूरण सिंह लिंगवाल ने कहा कि पुलिसिया दमन में शहीद हुए हमारे आंदोलनकारियों के मामले की जांच 26 साल बाद भी ठंडे बस्ते में है । 9 साल पहले शहीदों की याद में बनने वाले संग्रहालय, स्मारक और लाइब्रेरी के लिए शासन ने 45 लाख रुपये दिए थे जिनका आज तक पता नही चल पाया कि लापता हो गई और शासन स्तर से भी कोई पूछताछ नहीं हुई ।

प्रदीप कुकरेती व सुरेश नेगी ने सरकार पर आरोप लगते हुए कहा कि उत्तराखंड में आई सरकारों का रवैया राज्य आंदोलनकारियों के प्रति शुरु से ही उपेक्षा वाला रहा है । उस दौर में जेलों में ठूंसकर जिस प्रकार तत्कालीन पुलिस जो उत्पीड़न करती थी या जिस प्रकार इस राज्य के लिए बंद व चक्का जाम करने के साथ ही रेल रोको व दैनिक जेल भरो के लिए राज्य आंदोलनकारी सुबह ही घर से निकलते थे और आज कोई उनकी सुध लेने वाला कोई नही । सरकारें जानबूझकर आन्दोलन के इतिहास को मिटाने की कोशिश कर रही है । उन्होंने राज्य सरकार से मांग की कि वह राज्य आन्दोलनकारियों का स्मरण कर उनके त्याग और बलिदान के इतिहास को विद्यालयों के माध्यम से नई पीढ़ी को अवगत कराएं ।
श्रद्धा सुमन अर्पित करने वालों में जगमोहन सिंह नेगी, पूरण सिंह लिंगवाल, प्रदीप कुकरेती, सुमन भण्डारी, चन्द्र किरण राणा, विनोद असवाल, विनोद नेगी ,प्रभात डन्डरियाल, राधा तिवारी, सुलोचना गुंसाई, विशेस्वरी पंत आदि मौजूद रहे।

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