चोरों का मुखबिर निकला सिपाही, पकड़े गए आरोपियों ने खोला राज
देहरादून, जब रक्षक ही भक्षक बन जाए तो मानव समाज का गर्त में जाना तो तय ही माना जाएगा। वैसे तो पुलिस की कार्यप्रणाली पर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं। पुलिस की कार्यप्रणाली को संदेह के घेरे में लेने वाला एक मामला प्रकाश में आया है। जहां चोरी के आरोपियों के खुलासे में कबूल किया है कि पुलिस का ही एक सिपाही चोरों का मुखबिर बना हुआ था। जोकि मुखबिरी की वसूली चोरों से करता था। राजधानी दून में पुलिस ने सिपाही समेत चार चोरों को गिरफ्तार किया है आरोपी सिपाही चोरों के साथ मिला हुआ था और पुलिस मूवमेंट की जानकारी चोरों तक पहुंचाता था। इतना ही नहीं इसकी एवज में सिपाही चोरों से अच्छी खासी रकम वसूलता था। पुलिस की मानें तो आरोपी डोईवाला में बंद पड़ी फैक्ट्रियों में चोरी की घटनाओं को लगातार अंजाम दे रहे थे, लेकिन चोरी के बाद आसानी से बच कर निकल जाते थे। इसमें उनकी मदद लालतप्पड़ में तैनात सिपाही स्वप्निल ऋषि करता था।
दरअसल, डोईवाला के माजरी ग्रांट के बिरला पावर सेलियांस निवासी चंद्रभान सिंह पाल ने पुलिस में एक शिकायत दर्ज कराई थी। जिसमें उन्होंने बताया कि लालतप्पड़ में बिरला पावर सेलियांस (बिरला यामाहा) में चोरी की घटनाएं हो रही है, जहां से लोहे और मशीनें गायब हो रही है। जबकि, फैक्ट्री बंद पड़ी हुई है। सिक्योरिटी गार्ड और केयर टेकर न होने के कारण बीती रात भी कंपनी में चोरी हुई है। तहरीर के आधार पर पुलिस ने अज्ञात चोरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने टीमें गठित की। टीम ने घटना स्थल के आस-पास के क्षेत्रों में लगे सीसीटीवी कैमरे खंगाले। साथ ही मुखबिर तंत्र को भी सक्रिय किया। इसी बीच मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने घटना में शामिल तीन आरोपियों मोहम्मद इरशाद निवासी बिजनौर, आरोपियों ने बताया कि सिपाही लगातार उनके संपर्क में था और चोरी के घटनाओं को अंजाम देने के दौरान वो पुलिस के मूवमेंट से संबंधित सारी जानकारियां आरोपियों को देता था। इसके एवज में आरोपी उसे हर चोरी में से 10 से 15 हजार तक का हिस्सा देते थे। पूछताछ के दौरान सिपाही स्वप्निल ऋषि का नाम सामने आने पर अभियोग में धारा 120 ठ की बढ़ोत्तरी की गई। डोईवाला और भोला निवासी ऋषिकेश को लोहे के बडे छह फीट के 5 गार्टर और 34 बडे-छोटे एंगल के साथ माजरी ग्रांट लालतप्पड़ से गिरफ्तार किया। देहरादून एसएसपी जन्मेजय खंडूरी ने बताया कि सिपाही लगातार चोरों के साथ संपर्क में था और हर स्तिथि की जानकारी दे रहा था। सिपाही को सस्पेंड कर कानूनी कार्रवाई की जा रही है। आरोपियों के पास से लोहे के एंगल, लोहे के बड़े गाटर बरामद किए हैं। मामले में एक आरोपी अभी फरार बताया जा रहा है। जिसकी तलाश की जा रही है। बरहाल, जब पुलिस की ही संलिप्ता अपराध में पाई जाती है तो खाकी की कार्यप्रणाली और मुस्तैदी पर भी सवाल उठना लाजिमी है। ये पहला मौका नहीं है जब आरोपियों को पुलिस की शह मिली है। इस तरह की मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। जो पुलिस महकमे पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।