देहरादून, आईटीआईटीआई, वनवासी आश्रम, ग्राम झाझरा में “देहरादून डॉयलॉग आन लर्निंग डिसएबिलिटी” कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम पूर्व सांसद तरूण विजय एवं जिला प्रशासन के अधिकारियों व विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। पूर्व सांसद तरूण विजय द्वारा कार्यक्रम में उपस्थित हुए सभी अधिकारियों/कर्मचारियों एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों जो इस प्रकार के बच्चों/लोगों के विकास के लिए कार्य कर रहे हैं, उनका आभार व्यक्त किया तथा इस क्षेत्र में और अधिक कार्य किये जाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि जो बच्चे सामान्य बच्चों से भिन्न होते हैं, उनकी व्यथा उनके अभिभावकों के अतिरिक्त और कोई नहीं समझ सकता। उन्होंने कहा कि हमें ऐसे बच्चों एवं उनके अभिभावकों की आवाज बनकर समाज में ऐसे बच्चों को उचित मुकाम तक पहुंचाने के लिए कार्य करने की आवश्यकता है इसके लिए केन्द्र एवं राज्य सरकार की प्रभावी कार्यप्रणाली की आवश्यकता होगी ताकि ऐसे बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षा/चिकित्सा के उचित प्रबंध किया जा सके। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में दक्षिण भारतीय राज्यों में अच्छा काम हुआ है विशेषकर तमिलनाडू ने इस क्षेत्र में अच्छा कार्य किया है। उन्होंने संसद एवं विधानसभा में भी इस पर गहन चर्चा किये जाने पर बल देते हुए सभी जनप्रतिनिधियों से इस प्रकार के विशेष मुद्दे जिन पर अधिक चर्चा नहीं होती पर गहन चर्चा किये जाने की आवश्यकता है ताकि हमारे समाज में जो इस प्रकार के बच्चे है उनके बेहतर विकास/शिक्षा/सुरक्षा के लिए बेहतर/ठोस रणनीति बनाई जा सके।
इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी नितिका खण्डेलवाल ने पूर्व सांसद /अध्यक्ष डायलैक्सिया सोसाईटी ऑफ उत्तराखण्ड तरूण विजय का जनपद में इस प्रकार पहला कार्यक्रम/कार्यशाला आयोजित करने के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि जो बच्चे किसी न किसी रूप से दिव्यांग है उनके प्रति हमें और समाज को अपना नजरिया बदलने की आवश्यकता है। इस प्रकार के बच्चों को बेचारा कहकर सहानूभूति के स्थान पर उनकी डिसएबीलिटी को समझते हुए उसको दूर करने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हर एक व्यक्ति का अपना व्यक्तित्व होता है बस उसको समझने की आवश्यकता है यदि किसी व्यक्ति/बच्चे में सामान्य बच्चों से भिन्न लक्षण हैं तो उन्हें पहचानते हुए उसमें सुधार लाने का प्रयास करना होगा तथा इस प्रकार के बच्चों के सर्वागीण विकास के लिए उचित शिक्षा के लिए प्रशिक्षित शिक्षक तैयार करने की आवश्यकता है ताकि यदि किसी बच्चे में सामान्य बच्चों से भिन्न लक्षण हैं अथवा लर्निंग डिसएबिलिटी है तो उनको पहचान कर शुरुआती चरण में ही इसका उपचार किया जा सके। उन्होंने कहा कि हम इस प्रकार के बच्चों/व्यक्तियों जिनमें सामान्य से भिन्न लक्षण हैं उन्हें समाज का ही अभिन्न अंग मानते हुए उन्हें स्वीकार करें तथा विभिन्न क्षेत्रों में उन्हें अवसर प्रदान किये जाने हेतु प्रयास करें।इस अवसर पर अरूणा संगठन से अपर्णादास, डॉ0 हिमांशु दास निदेशक नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ इम्पावरमैंन्ट ऑफ पर्सन विसूवल इम्पेयरमैंन्ट (दिव्यांगजन), ललित पन्त सचिव सक्षम संस्था एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ0 मनोज कुमार उप्रेती ने अपने विचार रखे तथा इस क्षेत्र में और अधिक सुधार के लिए महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए। इस अवसर पर कार्यक्रम में उपस्थित विभिन्न संस्थाओं/संगठनों के प्रतिनिधियों द्वारा अपने विचार/सुझाव रखे।इस कार्यक्रम मे जिला समाज कल्याण अधिकारी हेमलता पाण्डे, खण्ड शिक्षा अधिकारी सहसपुर पंकज शर्मा, जिला कार्डिनेटर शिक्षा विभाग लक्ष्मी तड़ियाल एवं संबंधित विभागों के अधिकारी, शिक्षा विभाग के विभिन्न विद्यालयों के शिक्षकों सहित विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।