सी.आर.पी.एफ  ने पुलवामा के लोमहर्षक हमले में अपने 44 साथियों को खो दिया और कई घायल हो गए.
इस लिहाज से देखें तो सर्वाधिक क्षोभ,गुस्सा,आक्रोश यदि किसी के अंदर होना चाहिए तो सी.आर.पी.एफ के अंदर ही होना चाहिए. लेकिन सी.आर.पी.एफ ने देशभर में कश्मीरी छात्रों और अन्य लोगों के लिए हेल्पलाइन नम्बर जारी किया है,कि देशभर में उन्हें कहीं कोई दिक्कत या उत्पीड़न का सामना करना पड़े तो वे सम्पर्क कर सकते हैं. इस विपरीत स्थिति में सी.आर.पी.एफ उनकी मदद करेगा.जम्मू में कश्मीरी लोगों की मदद की जानकारी भी सी.आर.पी.एफ ने ट्विटर पर शेयर की है.
सर्वाधिक नुकसान झेलने वाले सुरक्षा बल यदि कश्मीरियों की मदद में शामिल है तो ये जो पूरे देश में हिंसा और घृणा का अभियान चलाए हुए हैं, ये कौन हैं? ये तो सी.आर.पी.एफ की भावना के साथ खड़े नज़र नहीं आते.हिंसा-घृणा इनका सतत एजेंडा है. सी.आर.पी.एफ तो बहाना भर है. असली निशाना तो कहीं और है,कुछ और है.लेकिन इनका यह हिंसा-घृणा का एजेंडा, देश तोड़ने वाली ताकतों के ही काम आएगा।
देश तोड़ने वाली ताकतों  के मंसूबे कामयाब न होने दें.
सी.आर.पी.एफ ने जिस संवेदनशीलता का परिचय दिया है, उस संवेदनशीलता के साथ खड़े हों, हिंसक,उत्पाती,उन्मादी देश तोड़क शक्तियों के हाथों का औजार न बनें.
अपने साथियों का नरसंहार किये जाने जैसे बेहद कठिन परिस्थितियों के बावजूद कानून व्यवस्था का पक्ष और सम्वेदनशीलता का परचम मजबूती से बुलन्द करने के लिए सी.आर.पी.एफ को सलाम !
*आज भले ही हम लोग उन सैनिको की तरह देश की सेवा  नहीं  कर  रहें हैं मगर उनके इस बेमिसाल कार्य को पूरी दुनिया में पहुँचा कर उनके सम्मान को आगे तो बढ़ा ही सकतें हैं। *


साभार – इंद्रेश मैखुरी