- तीलू रौतेली पुरस्कार लौटाने व आशाओं के आंदोलन पर गर्माई !
- नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह बोले – सबके सामने आ गया भाजपा का दोहरा चरित्र !
- उत्तराखंड में सियासत कांग्रेस ने मातृशक्ति अपमान का मुद्दा बनाकर सरकार को घेरा !
- नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने भाजपा सरकार की नीयत पर खड़े किए सवाल !
देहरादून। उत्तराखंड में तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित महिलाओं के पुरस्कार लौटाने व आशा कार्यकर्ताओं के अपनी मांगों को लेकर चल रहे आंदोलन से सियासत गर्माई हुई है। सत्ता पर काबिज भाजपा जहां रूठों को मानने में लगी हुई है, वहीं प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने मातृ शक्ति के अपमान का मुद्दा बनाकर सरकार पर हमला शुरू कर दिया है। नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि एक तरफ सरकार महिलाओं के उत्थान की बात करती है, वहीं दूसरी तरफ उनका रोजगार छीना जा रहा है। प्रीतम सिंह ने सरकार के टेक होम राशन के लिए ई-निविदा के फैसले पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि कांग्रेस इस ठेका प्रथा का विरोध करती है। स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं में इस फैसले को लेकर आक्रोश है हम उनके साथ खडे हैं। हमारी दो बहनों ने तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित गीता मौर्य और स्यामा देवी ने सम्मान लौटाए जाने की बात कही है। नेता प्रतिपक्ष ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए इसे मातृ शक्ति का अपमान बताया है।
प्रीतम सिंह ने कहा कि एक तरफ भाजपा सरकार उत्कृष्ट स्वयं सहायता समूह शक्ति के लिए महिलाओं को तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित कर रही है। वहीं दूसरी तरफ टेक होम राशन को निजी फायदे के लिए ठेके प्रथा पर दे रही है। महिला सम्मान की बात करने वाली भाजपा सरकार का दोहरा चरित्र खुद ही सामने आ गया है। प्रीतम ने कहा मुख्यमंत्री ने महिलाओं के समूहों को निविदा प्रक्रिया रद्द किए जाने का आश्वासन दिया था लेकिन यह झूठ साबित हुआ है। कांग्रेस पार्टी टेक होम राशन के लिए इस ई-निविदा प्रक्रिया समाप्त कर पूर्व की व्यवस्था बने रहने की मांग करती है वहीं आशा कार्यकर्ताओं के आंदोलन पर प्रीतम सिंह ने कहा आगामी विधानसभा सत्र में आशाओं के मुद्दे को सदन में जोर शोर से उठाएंगे। कांग्रेस पार्टी का पूरा समर्थन आशाओं के साथ है।
सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा करते हुए प्रीतम सिंह ने कहा सरकार आशाओं से बहुत सारे काम ले रही है, लेकिन तीन साल से केंद्र व राज्य सरकार ने उनके मासिक मानदेय में जरा सी भी बढ़ोतरी नहीं की है। 10 हजार रुपये सम्मान राशि देने की घोषणा की थी, पर इस पर भी अभी तक अमल नहीं किया गया है। नेता प्रतिपक्ष ने आशा कार्यकर्ताओं को राज्य कर्मचारियों की भांति समस्त सुविधा व मानदेय देने की मांग राज्य सरकार से की है। उन्होंने कहा आशाओं की अन्य मांगों स्वास्थ्य बीमा की परिधि में लाने, कार्य के दौरान मृत्यु होने पर आशा के परिवार को 50 लाख का बीमा और बीमार होने पर 10 लाख का स्वास्थ्य बीमा, कोरोना काल में घर-घर जाकर अपनी जान जोखिम में डाल रहीं आशा कर्यकर्ता को सुरक्षा उपकरण और फ्रंटलाइन वर्कर की भांति सम्मान व मानदेय की मांगों को मानने के साथ 45 व 46 वें श्रम सम्मेलन की सिफारिशों को राज्य सरकार को गंभीरता से विचार कर जल्द से जल्द लागू करना चाहिए।